कटिहार:जिले मेंहस्तशिल्प के कारीगर सरकारी अपेक्षाओं के शिकार बने हैं. जिसके कारण बांस से बने सामानों को कुटीर उद्योग का दर्जा नहीं मिल सका. ऐसे में सीजन नहीं रहने पर उनके सामानों की बिक्री नहीं होती है. जिसके कारण इनके सामने भुखमरी की नौबत आ गई है. छोटे-मोटे सूप दौरा बनाकर पूरे परिवार की गाड़ी चलाने वाले इनलोगों के पास कमाई का कोई और जरिया नहीं होने से इनकी मुसीबत और बढ़ गई है.
कटिहार: कुटिर उद्योग के कारीगर भुखमरी की कगार पर, प्रशिक्षण के बावजूद कमाई को तरसे
हिंदू मान्यताओं के अनुसार सावन के 4 महीने बाद तक कोई भी विवाह संस्कार संपन्न नहीं कराए जा सकते हैं. जिसके कारण इनके सामानों की बिक्री काफी कम हो जाती है. जिसके कारण उनके सामने पैसों की भारी किल्लत हो जाती है.
सरकार नहीं दे रही ध्यान
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार उद्योगपतियों को सूबे में इंडस्ट्री लगाने के लिए न्योता पर न्योता भेज रही है. लेकिन सीएम साहब के रिक्वेस्ट में बड़े-बड़े औद्योगिक घराने इंटरेस्ट नहीं ले रहे हैं. बिहार में औद्योगिक निवेश न के बराबर है. ऐसे में कुटीर उद्योगों के विकास में बिहार सरकार को प्रोत्साहन देना चाहिए था. लेकिन उसपर सरकार का ध्यान ही नहीं है. जरूरत इस बात की है कि सरकार बड़े उद्योगों की तरह कुटीर और लघु उद्योगों को भी प्रोत्साहन दे ताकि विकास और रोजगार राज्य में फल-फूल सके.