कैमूरः अधौरा प्रखंड के विनोवानगर केकुछ लोगअत्याचार औरशोषण से मजबूर होकर 1999-2000 में नक्सली संगठन से जुड़ गए थे.लगभग 2 वर्षों तक नक्सली संगठन में रहने के बाद इन लोगों ने 1 मार्च 2001 को तत्कालीनएसपी सुनील खोपड़े के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. उस वक्तसरकार ने इन लोगों सेआर्थिक मदद देने के कई वादे किए थे, लेकिन आज तक सरकार ने वादों को पूरा नहीं किया.आज यह लोग दर-ब-दर भटकने को मजबूर हैं.
दरअसल, 1 मार्च 2001 के तत्कालीन एसपी सुशील खोपड़े की कोशिशोंकीबदौलत4 नक्सलियों ने सरेंडर किया था.आत्मसमर्पण किये हुए अधौरा प्रखंड के विनोवानागर के नक्सली रामसूरत राम, देवमुनि राम, उमा राम और ललन राम उर्फ लोहा सिंह और सुभाष रामने बताया कि तत्कालीन एसपी सुशील खोपड़े ने परिवार वालों को समझाया था, परिवार वालोंके समझाने और एसपी के आश्वासन पर हमने सरेंडर कर दिया था. आत्मसमर्पण के वक्त सरकार ने कई वादे किए थे.सरकार ने कुछ वादे पूरे तो किए लोकिनसमय के साथ बाकी के किये गए वादों को सरकार पूरा नहीं कर सकी.
आज तक लड़ रहे हैं केस
इन लोगों की आर्थिक स्तिथि आज फिर सेखराब हो गई है.आलम यह है कि इनका परिवार कर्ज में डूब चुकाहै.आत्मसमर्पण किये हुए नक्सलियों ने बताया कि 2004 में उन्हें जेल से बेल मिलीथी. सरकार ने वादा किया था कि सरकारी वकील उपलब्ध कराएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आज भी भभुआ सिविल कोर्ट में सभी लोग केस लड़ रहेहैं और सभी नेप्राइवेट वकील रखा है. जिस वजह से आज भी इन्हें आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता है.