कैमूर: जिला मुख्यालय से महज 3 किमी दूर पलका गांव के ग्रामिण सड़क के अभाव में जी रहे हैं. मांग के बावजूद भी ग्रामीणों को पक्की सड़क की सुविधा नहीं मिल पाई है. भले की सरकारी आंकड़े विकास के एक पहलू को बयां करते हैं लेकिन दूसरा पहलू कुछ और ही होता है.
जिला मुख्यालय से 3किमी दूर है गांव
कैमूर में जिला मुख्यालय भभुआ से महज 3 किमी और डीएम आवास से सिर्फ 1.5 किमी दूर एक ऐसा गांव है जहां आने-जाने के लिए सड़क नहीं है. पलका गांव की बदकिस्मती है कि जिला मुख्यालय से इतना करीब होते हुए भी आज तक इस गांव को सड़क नहीं मिल पायी है. ग्रामीणों का कहना है कि 2009 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गांव में सड़क के लिए आवेदन दिया गया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को सड़क की समस्या का समाधान करने की बात कही थी.
डीएम के हाथ में सब कुछ
सरकार और जिला प्रशासन के उदासीनता के कारण आजादी के 7 दशक बाद भी गांववालों को सड़क नसीब नहीं हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि डीएम चाहे तो सड़क का इंतजाम तुरंत कर सकते हैं. लेकिन कई बार आवेदन करने के बाद भी डीएम से आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला.
मांग के बावजूद भी ग्रामीणों को पक्की सड़क की सुविधा नहीं मिल पाई छेदी पासवान ने नहीं ली सूद
गांव के लोगों ने बताया कि भाजपा के सांसद छेदी पासवान से उन्हें बहुत उम्मीदें थी. लेकिन सांसद महोदय गांव में आना तक भूल गए. इस गांव में बरसात के दिनों में जब नदी में बाढ़ आती है तो प्रत्येक वर्ष कइयों की जान चली जाती है. गांव के जिला मुख्यालय से सम्पर्क तक टूट जाता है. इसके बावजूद भी इस गांव पर न तो जिला प्रशासन की नजर है, न ही बिहार सरकार की.