कैमूरःदेश भर में चावल के लिए मशहूर भभुआ प्रखंड का मोकरी पंचायत पिछले 10 सालों से बेहतरीन चावल उत्पादन करने के बाद घाटे में जा रहा है. दरअसल पंचायत में पैक्स पिछले 10 सालों से धान की खरीदारी नहीं कर रहा है. इससे हर साल किसानों को 350 रुपये से लेकर 450 रुपये प्रति क्विटंल तक का नुकसान उठाना पड़ रहा हैं.
देश भर में मशहूर है यहां का चावल
बता दें कि पंचायत का चावल देश में इतना मशहूर है कि अयोध्या राम रसोई में यहीं के चावल से प्रसाद बनाई जाएगी. लेकिन यहां के किसानों का दुर्भाग्य है कि इन्हें इतनी मेहनत करने के बाद भी उचित दाम तक नहीं मिल पा रहा है. किसान बिचौलियों को 1400-1450 रुपये प्रति क्विटंल धान बेचने को मजबूर हैं.
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क्या है मामला?
वर्तमान पैक्स अध्यक्ष राम दुलार सिंह ने बताया कि 10 साल पैक्स अध्यक्ष की ओर से पहले पंचायत में 12 लाख का गबन किया गया था. जो सूद सहित अब 40 लाख हो गया है. उन्होंने कहा कि अभी तक पूर्व अध्यक्ष की ओर से डिफॉल्ट पैसों की भरपाई नहीं की गई है. इस कारण पिछले 10 सालों से धान की खरीदारी नहीं की जा रही है. किसान अपनी धान को बाजार में सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर है. उन्होंने कहा कि इस साल सरकार एक नया नियम लाई है. इसके तहत मूल धन को जमा करने के बाद पैक्स की खरीदारी शुरु हो जाएगी.
किसानों की दलील
किसान हृदयानंद सिंह ने बताया कि यहां का चावल पूरे देश में मशहूर है. अयोध्या राम रसोई में यहीं के चावल से प्रसाद बनेगा. उन्होंने कहा कि वो हर साल पैक्स चुनाव में सिर्फ इसलिए मतदान करते हैं कि पंचायत में पैक्स चालू हो सके. उन्हें उम्मीद है कि इस बार पंचायत में पैक्स चालू हो जाएगा. वहीं, अमीरुद्दीन और सफी अहमद ने बताया कि पिछले 10 सालों से पैक्स धान की खरीदारी नहीं कर रहा है. उनका कहना है कि धान की खरीदारी के लिए सरकार ने भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर रही है. किसानों का कहना है कि उन्हें इस बात की संतुष्टि है कि घाटा तो हो रहा है लेकिन यहां के चावल की वजह से देश में गांव का नाम रौशन हो रहा है.
दूसरे पंचायत से जोड़कर होगी धान की खरीदारी
जिला सहकारिता अधिकारी रामाश्रय राम ने बताया कि मोकरी पंचायत डिफॉल्टर पंचायत है. इसलिए यहां धान कि खरीदारी नहीं की जा रही है. लेकिन विभाग की ओर से किसानों को कोई परेशानी नहीं हो इसके लिए इस पंचायत को दूसरे पंचायत से जोड़कर धान की खरीददारी की जाएगी, जिसके लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. उन्होंने कहा कि पिछले साल भी ऐसा ही किया गया था. लेकिन किसी किसानों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया. इस कारण धान की खरीदारी नहीं हो पाई थी. उन्होंने बताया कि सरकार धान के लिए 1815 और ए ग्रेड धान के लिए 1830 रुपये निर्धारित किया है.