कैमूर: जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर बसा करकटगढ़ जल प्रपात का दृश्य रमणीय है. जल प्रपात की ऊंचाई से जब पानी गिरता है तो उसकी आवाज और पत्थरों से पानी का टकराना, फिर कोहरे का रूप लेना, पर्यटकों को खूब लुभाता है. इस स्थल को देखने के खुद बिहार के मुखिया नीतीश कुमार भी डेढ़ साल पहले आए थे.
इस दृश्य को देखकर वादा किया था कि करकतगढ़ जल प्राप्त को बिहार टूरिज्म सर्किल में जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा था कि ऐसा नजारा पूरे बिहार में कही भी नहीं है.
जलप्रपात में 30 मगरमच्छ की संख्या
जल प्राप्त में 30 मगरमच्छों की संख्या भी है. पानी गिरने वाले स्थान से करीब 200 मीटर पहले ही मगरमच्छ रहते हैं. वन विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों का दावा है कि कर्मनाशा व उसकी सहायक नदियों में 80 की संख्या में मगरमच्छ हैं. जिसमें सबसे ज्यादा मगरमच्छ करकटगढ़ वाटरफॉल के आसपास हैं. अब सरकार इसको लेकर मगरमच्छ संरक्षण स्थल बनाने पर जोर दे रही है.
जलप्रपात के पास ईको पार्क
करकटगढ़ वाटरफॉल के पास ईको पार्क का निर्माण किया गया है. जिसमें सेल्फी प्वाइंट, हैंगिंग झूला लगा हुआ है. इसके अलावा लकड़ियों की मदद से कई आकृति बनाई गई है. इस जलप्रपात को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटती है. करकटगढ़ के जलप्रपात के चारों तरफ घेराबंदी भी कर दी गई है ताकि कोई अनहोनी न हो पाए. हालांकि अभी सड़क का निर्माण नहीं होने से पर्यटकों की संख्या कम रहती है.
झूला पुल पर गुजरते पर्यटक दूर-दूर से आते हैं पर्यटक
यहां लोग ईको पार्क घूमने और जल प्रपात कालुफ्त उठाते हैं. पार्क में बैठने घूमने के साथ-साथ कई प्रकार के फूलों को भी लगाया गया है. वन विभाग की तरफ से पर्यटकों की सुविधाओं को देखते हुए सारी व्यवस्थाएं की गई है. जिले के डीएफओ विकास अहलावत का कहना है कि कैमूर पहाड़ी पर जितने रिजल्ट प्राप्त हैं. उसमें सबसे रमणीय स्थल करकतगढ़ का है जो चारों तरफ से जल और पहाड़ से घिरा है, पार्क के दूसरे छोर पर यूपी बसा हुआ है. लिहाजा सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं.