जमुईःबिहार के जमुई में सिकंदरा सरकारी अस्पताल में एक प्रसूता की मौत के बाद भी उसे बाहर रेफर कर दिया गया. यह घटना मंगलवार रात 10 बजे की है. परिजनों ने आरोप लगाया है कि सिकंदरा नौआटोली निवासी चंदन महतो की प्रसव पीड़िता पत्नी को अस्पताल में भर्ती किया गया तो काफी देर बीत जाने के बाद भी चिकित्सक देखने नहीं आए. न ही कोई स्वास्थ्य कर्मी ही वहां पहुंचा. इसके बाद महिला पूरी तरह अचेतावस्था में चली गई और अंततः उसकी मौत हो गई.
ये भी पढ़ेंः जमुई सदर अस्पताल में तड़पती रही मरीज.. 'स्टाफ एंबुलेंस देने के नाम पर मांगता रहा 10000 रुपए'
मृत महिला को किया रेफरः परिजनों के अनुसार इस घटना के बाद अस्पताल में ड्यूटी में तैनात आयुष चिकिसक प्रेम कुमार व ए ग्रेड नर्स कुमारी रंजना और मधु कुमारी ने उसे बिना देखें जीएनएम के कहने पर नाजुक स्थिति बताकर जमुई रेफर कर दिया. परिजन कुछ समझ नहीं पाए और बिना देर किए हुए आनन फानन में उसे सदर अस्पताल लेकर चले गए. वहां चिकित्सकों ने महिला को मृत बता दिया. इसके बाद गुस्साए परिजन महिला के शव को लेकर सिकंदरा अस्पताल पहुंचकर जमकर हंगामा मचाया.
एनएच को परिजनों ने किया जामः अस्पताल प्रबंधन के विरोध में ग्रामीणों ने एनएच 333 ए मुख्य चौक स्थित चौराहे को भी जाम कर दिया. जाम छुड़ाने के बाद पुनः सिकंदरा-जमुई मुख्यमार्ग स्थित शिवनाथी पोखर के पास शव को बीच सड़क पर रखकर जाम कर दिया गया. थानाध्यक्ष विजय कुमार और मुख्यपार्षद प्रतिनिधि चंद्रशेखर सिंह के काफी समझाने बुझाने के बाद जाम को हटाया गया. मृत महिला के पति ने अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही पर आरोप लगाते हुए बताया कि जब उसने अपनी पत्नी को भर्ती कराया तो उस वक्त दो नर्स कुमारी रंजना और मधु मौजूद थी. दोनों ने मिलकर पहले दवा के नाम पर पांच सौ रुपये ले लिये उसके बाद उसे बाहर से दवा लाने की बात कही.
पति ने लगाया लापरवाही का आरोपःपति ने कहा कि जब तक मैं दवा लाने बाहर गया तो मेरी पत्नी अचेतावस्था में चली गई. पानी के लिए इधर उधर भटकता रहा, लेकिन अस्पताल में पानी की व्यवस्था नहीं होने पर यूं ही परेशान होकर रह गया. दो घंटे से अधिक देर तक रहने के बाद भी ड्यूटी में तैनात चिकित्सकों ने देखना मुनासिब नहीं समझा. बाद में उसकी मौत होने पर उसे रेफर कर दिया. प्रसव पीड़िता की मौत से बिफरते स्वजनों व ग्रामीणों ने सड़क जाम कर घंटों आवागमन बाधित कर दिया.
आशा ने भी लगाया आरोपःअस्पताल की गिरती व्यवस्था व प्रबंधन की लापरवाही पर हरिहरपुर गांव की आशा सोनी कुमारी ने भी आरोप लगाया. उसने कहा कि मैं जबसे आशा का कार्य कर रही हूं, इतने दिनों में एक भी प्रसव पीड़िता महिला को सरकारी मापदंड के मुताबिक कभी भी नाश्ता और भोजन नहीं कराया गया है. बताया कि सुबह में सबसे पहले छह ब्रेड के साथ एक अंडा देना है. दिन के डाइट में चावल 125 ग्राम, दाल 50 ग्राम और सब्जी व दही 100 ग्राम देना है. वहीं शाम में चाय, बिस्किट और ग्लूकोज और रात में चार चपाती,सब्जी और 50 ग्राम दाल देना है. लेकिन प्रसूता को यह नहीं दिया जाता है.
"चिकित्सकों की कमी के कारण आयुष चिकित्सक की ड्यूटी लगा दी जाती है. मृत महिला की मौत खून की कमी को लेकर होना बताया गया है. हालांकि लापरवाह एएनएम के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी"-डा.कुमार महेंद्र प्रताप, सिविल सर्जन, जमुई