जमुई: जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर बसा सदर प्रखंड के नीमनवादा गांव के युवा किसान ग्रेजुएशन के बाद भी नौकरी तलाशने के बजाय खेती का रास्ता अपना रहे हैं. किसानों ने अपने पूर्वजों की जमीन पर परंपरागत खेती को छोड़कर सब्जी का उत्पादन शुरू किया है. किसान तकनीकी प्रशिक्षण लेकर ब्रोकली की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं.
तकनीकी के जरिए कर रहे खेती
एक दौर था जब लोग रोजगार की तलाश में शहर की ओर भाग रहे थे. लेकिन आज युवा लाखों के पैकेज को छोड़कर गांव का रूख कर रहे हैं. उच्च शिक्षा की डिग्री और हाथ में लाखों का पैकेज होने के बाद भी ये युवा अपने इनोवेटिव आइडिया और नई तकनीक के जरिए खेतीकर रहे हैं और उनका यह कदम ग्रामीण अंचल के किसानों को लाभ दिला रहा है. इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी हो रहा है.
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बच्चों को दे रहे अच्छी शिक्षाब्रोकली को यूरोपियन सब्जी भी कहा जाता है. किसान इसे बाजार में अच्छे दामों में बेचकर बेहतर आमदनी कर रहे हैं. किसान ने बताया कि पूर्व में वह ब्रोकली की खेती कर बाजार में बेचते थे. उस समय यहां के लोग उसे हरा गोभी और खराब गोभी कहकर नहीं लेते थे. लेकिन किसानों ने अपना प्रयास जारी रखा और आज उनकी ब्रोकली 20 से 35 रुपये प्रति पीस बाजार में बिक रही है.