जमुई: जिले के मुबारकपुर गांव के लगभग सभी लोग बांसुरी बना कर उसे बेचने का काम करते हैं. लेकिन बांसुरी बनाने में जितनी मेहनत इन्हें लगती है. उससे कहीं कम मुनाफा मिलता है. इस सबके बावजूद पेट पालने के लिए वो अपने पारम्परिक पेशे से मजबूरन जुड़े हुए हैं.
मुबारकपुर गांव में 40 परिवार हैं जो इस काम में सालों से लगे हुए हैं. लेकिन इनकी आर्थिक और पारिवारिक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. बांसुरी बनाने वालों का कहना है कि ना तो भारत सरकार के स्किल इंडिया और मुद्रा योजना के तहत कोई अनुदान दिया और ना ही कोई सरकारी अधिकारी इनकी सुध लेने पहुंचा.
बांसुरी बनाने के लिए असम से लाते हैं बांस