जमुईःजिले में पुलिस के नए कारनामेसामने (Jamui Police) आए हैं. जहां पुलिस को कोर्ट से एफआईआर के लिए भेजी गई कॉपी खो गई. हैरानी की बात यह है कि थानाध्यक्ष को 8 साल बाद इसका पता चलता है. मामले में उस पर कोई कार्रवाई न हो जाए इससे बचने के लिए थानाध्यक्ष ने शुक्रवार को कोर्ट को आवेदन देकर नई कॉपी की मांग की है. थानाध्यक्ष का कहना है कि ऐसे 11 परिवाद पत्र खो गए जो कोर्ट से भेजे गए थे. लापरवाही को देखते हुए कोर्ट ने थानाध्यक्ष पर एसपी को कार्रवाई के आदेश दे दिया.
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2014 का है मामलाःदरअसल, इसका ताजा और उदाहरण शुक्रवार को अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम के विशेष न्यायाधीश एडीजे प्रथम अनंत सिंह की अदालत में देखने को मिला. जमुई के एससी एसटी थानाध्यक्ष ने एक आवेदन देकर कहा कि 2014 में एफआईआर दर्ज करने के लिए न्यायालय ने जो कॉपी भेजी थी वह खो गया है इसीलिए उसकी दूसरी कॉपी मुहैया कराई जाए. जिस पर एडीजे प्रथम ने घोर नाराजगी व्यक्त करते हुए सख्त कार्रवाई के लिए एसपी को आदेश दिया है.
11 परिवाद पत्र भेजा गया थाः जमुई एससी एसटी थानाध्यक्ष रंजन कुमार ने कहा कि पीड़ित परिवार के आवेदन की जो कॉपी भेजे गए परिवाद पत्र नहीं मिल रहे हैं. 2014 के 11 मामले एफआईआर दर्ज करने के लिए भेजे गये थे. उसे 8 वर्षों तक यूं ही कूड़ेदान में फेंक दिया गया और कोई कार्रवाई नहीं हुई. जब सख्त रवैया अपनाया तो कहा गया कि 11 परिवाद पत्र के आवेदन नहीं मिल रहे हैं.
एसपी को कार्रवाई का आदेशः थानाध्यक्ष की इस घोर लापरवाही को लेकर एडीजे ने आपत्ति जताई. मामले में एडीजे ने जमुई एसपी शौर्य सुमन (Jamui SP Shaurya Suman) को कार्रवाई के लिए निर्देश दिया. कहा कि 10 दिन के अंदर कार्रवाई कर न्यायालय को इसकी सूजना दें और इस मामले की कॉपी मुंगेर डीआईजी संजय कुमार (Munger DIG Sanjay Kumar) को भी भेजने का आदेश दिया है. थानाध्यक्ष के इस कारनामे की चर्चा विभाग में शुरू हो गई है. 11 ऐसे मामले जिसमें 8 साल बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी.