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मुरझा गई लालू की 'फुलवरिया': स्टेशन परिसर में यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं भी नसीब नहीं

फुलवरिया स्टेशन में बदहाली इस कदर व्याप्त है कि यहां रात तो छोड़िए दिन में भी विरानगी पसरी रहती है. वहीं, रेलवे सुरक्षा गार्ड की तैनाती नहीं होने से स्टेशन परिसर असामाजिक तत्वों का रैन बसेरा बन गया है.

विरान पड़ा फुलवरिया स्टेशन

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Published : Sep 4, 2019, 10:02 PM IST

गोपालगंज:बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल फुलवरिया रेलवे स्टेशन आज सरकारी अनदेखी का शिकार है. बाहर से देखने पर यह स्टेशन अंग्रेजों के जमाने का धरोहर प्रतीत होता है. लेकिन, पास जाने पर इसकी बदहाली साफ देखी जा सकती है. हथुआ भटनी रेल खंड के फुलवरिया रेलवे स्टेशन पर बुनियादी सुविधाएं तक मौजूद नहीं है. जिस कारण यहां आने वाले यात्रियों को भारी समस्याओं से जूझना पड़ता है.

स्टेशन का बाहरी लुक

बदहाली इस कदर व्याप्त है कि यहां रात तो छोड़िए दिन में भी विरानगी पसरी रहती है. वहीं, रेलवे सुरक्षा गार्ड की तैनाती नहीं होने से स्टेशन परिसर असामाजिक तत्वों का रैन बसेरा बन गया है. यह नशेड़ियों का अड्डा बनता जा रहा है. इस कुव्यवस्था के कारण यात्रियों में काफी आक्रोश है.

विरान पड़ा फुलवरिया स्टेशन

साल 2005 में लालू यादव ने किया था उद्घाटन
बता दें कि तत्कालीन रेल मंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल में 8 जुलाई 2005 में इस स्टेशन का उद्घाटन किया था. उनकी इच्छा थी कि फुलवरिया गांव के लोगों को रेल यातायात में कोई परेशानी ना हो. लेकिन, सत्ता की बागडोर जाने के साथ ही स्टेशन उपेक्षा का शिकार हो गया.

बंद पड़ा टिकट काउंटर
पानी की बूंद तक नसीब नहीं

आजतक नहीं हुई स्टेशन मॉस्टर की पदस्थापना
अब यह स्टेशन अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है. शुरुआती दौर में स्टेशन के रखरखाव पर भी विशेष ध्यान दिया गया. लेकिन, अपनी स्थापना के समय से ही इस स्टेशन में स्टेशन मास्टर की पदस्थापना नहीं की गई. लंबे समय बाद बड़ा बाबू के रुप में सीबी मिश्रा की तैनाती हुई.

लोगों में गुस्सा

बुनियादी सुविधाएं नदारद
इसके साथ ही उन्होंने हरी झंडी दिखाकर फुलवरिया से हाजीपुर कटिहार तक ट्रेन का परिचालन शुरू कराया. यही ट्रेन आजतक यहां चल रही है. इसके अलावे आजतक कोई अन्य ट्रेन यहां से चालू नहीं हो सकी. मौजूदा समय में इस स्टेशन पर सफाईकर्मी, बिजली, स्टेशन मास्टर, सुरक्षाकर्मी, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था नदारद है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

स्टेशन परिसर में बूंद को तरस रहे लोग
इस स्टेशन का एकमात्र सहारा चापाकल भी पिछले एक साल से खराब पड़ा हुआ है. यात्री यहां बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. पहले हाजीपुर फुलवरिया बथुआ बाजार पकड़ी सहित कई गांवों के यात्री यहां से रेल यात्रा करते थे. लेकिन, अब रात में हमेशा अंधेरा होने के कारण यात्रियों का आना काफी कम हो गया है. ऐसे में सबसे अधिक परेशानी महिलाओं और बच्चों को होती है.

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