गोपालगंज: जिले के एकमात्र मुक्तिधाम गृह आज अपनी मुक्ति की राह देख रहा है. गोपालगंज में शवों के संस्कार के लिए बना शवदाह गृह बेहद दयनीय हालत में है. आलम यह है कि अब ये नशेड़ियों का अड्डा बन गया है. लेकिन, इस मुक्तिधाम पर ना ही प्रशासन की नजर जा रही है और ना ही जनप्रतिनिधियों की. नतीजतन यह मुक्तिधाम उपेक्षित पड़ा है.
मुक्तिधाम की उपेक्षा को स्थानीय लोग प्रशासनिक निरंकुशता करार देते हैं. उनका कहना है कि प्रशासन की अनदेखी के कारण इसका जीर्णोद्धार नहीं हो सका. इस शवदाह गृह को करीब 42 लाख की लागत से बनाया गया था. मुक्तिधाम अब नशेड़ियों का ठिकाना बन चुका है.
हाल बदहाल
शवदाह की हालत इतनी खराब है कि यहां का गेट और सोलर लाइट की बैटरी गायब है. यह पूरी तरह से झाड़ियों से ढ़का गया है. मुक्तिधाम का वेटिंग रूम नशेड़ियों का धाम बन गया है. वर्षो पहले इसके जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण के साथ-साथ विद्युत शव दाह गृह की योजना बनाई गई थी. लेकिन, यह योजना अभी तक फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी.
अश्विनी चौबे ने किया था उद्घाटन
शहर के कमला राय कॉलेज रोड स्थित पोस्टमार्टम हाउस के पास करीब पांच साल पहले 1 एकड़ 46 डिसमिल में जिले का एकमात्र मुक्तिधाम बना गया. जिसकी लागत 42 लाख आई थी. इसका उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने साल 2014 में किया था. लेकिन, उद्घाटन के बाद से ही मुक्तिधाम प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहा. निर्माण के बाद से यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो सका.
ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट क्या कहते है स्थानीय लोग और अधिकारी?
स्थानीय समाजसेवी विमल कुमार ने वर्ष 2009 में लोक स्वास्थ्य प्रमंडल से आरटीआई के तहत इस शवदाह गृह की जानकारी मांगी थी. उनकी मानें तो नगर परिषद, प्रशासन और जनप्रतिनिधि के उदासीनता के कारण इसका पूर्ण विकास नहीं हो सका. इस संदर्भ में जब नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि शहर की जनसंख्या को देखते हुए मुक्तिधाम अपर्याप्त है. नगर परिषद की ओर से सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. जिसमें ढाई करोड़ की लागत से इलेक्ट्रिकल शव दाह गृह बनेगा. साथ ही जंगलिया वार्ड नंबर 15 में 16 लाख की लागत से 4 सीट का मैनुअल शव दाह गृह बनेगा, जिसका डीपीआर तैयार हो चुका है. उन्होंने कहा कि चिराई घर के पास इलेक्ट्रिक शव दाह गृह इस वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा.