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Gopalganj Flood News : सड़कों पर कमर तक बह रहा बाढ़ का पानी, जान जोखिम में डालकर पार कर रहे हैं लोग

गोपालगंज के बरौली प्रखंड में बाढ़ से स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है. गांवों की सड़कों पर बाढ़ का पानी जमा होने से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. वहीं अभी तक प्रखंड इलाके में लोगों को किसी तरह की प्रशासनिक मदद नहीं पहुंची है.

गोपालगंज में बाढ़ का कहर
गोपालगंज में बाढ़ का कहर

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Published : Jul 11, 2021, 5:54 AM IST

गोपालगंज : उत्तर बिहार में लगातार बारिश से राज्य की प्रमुख नदियों के जलस्तर में वृद्धि से गोपालगंज (Flood In Gopalganj) जिले के कुछ इलाकों में बाढ़ से हालात गंभीर हो गये हैं. बरौली प्रखण्ड के भैसही पंचायत समेत आस- पास के पंचायतों में बाढ़ के पानी से लोग उबर नहीं पा रहे है. आये दिन इनकी समस्याएं कम होने के बजाए बढ़ती जा रही हैं. वहीं इन बाढ़ पीड़ितों के पास अभी तक किसी तरह की प्रशासनिक सुविधा अभी तक नहीं पहुंची हैं.

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बरौली प्रखण्ड के भैसही पंचायत में अभी तक किसी तरह की प्रशासनिक मदद नहीं मिलने से दियारा इलाके के लोगों में सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी है. भैसहि गांव के सड़कों पर तेज धारा के साथ बाढ़ का पानी बह रहा है. तेज धारा के साथ बह रही पानी से लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. बावजूद लोग जान जोखिम में डाल कर आवगमन करने को मजबूर है. साथ ही बाढ़ के पानी से मार्ग ध्वस्त हो जाने के कारण कई बार ग्रामीण गिर कर चोटिल भी हो जाते है.

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बरौली प्रखंड के भैसही गांव के पास बह रही बाढ़ के पानी को पार कर करीब 10 हजार की आबादी का हर दिन यहां से आवागन करती है. इस मार्ग से भैसही, निमुईया, पुरैना, रूपन छाप पंचायत के लोग जान जोखिम में डाला कर तेज रफ्तार से बहती पानी के बीच आवगमन करते हैं. वहीं इलाके में लोगों की मदद के लिए अभी तक एक नाव की व्यवस्था नहीं कराई जा सकी है. ऐसे में थोड़ी से चूक हुई तो तेज धारा के साथ बह जाना निश्चित है.

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बता दें कि बिहार में हर साल बाढ़ से भारी तबाही होती है. जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं. कई लोगों के घर बाढ़ में बह जाते हैं तो कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है.अब स्थिति यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर बिहार में बाढ़ प्रभावित इलाके भले ही कम हो लेकिन बाढ़ से होने वाली तबाही सबसे ज्यादा है. पिछले 42 साल से बिहार की बड़ी आबादी के लिए कहर बना है. इसमें एक बड़ा योगदान नेपाल से आने वाल पानी का है.जिसकी वजह से कोसी, कमला, बागमती, गंडक, महानंदा और गंगा मानसून के समय बेहद खतरनाक रूप ले लेती हैं. इस दौरान बिहार के आधे से ज्यादा जिले बुरी तरह प्रभावित होते हैं. इसमें ना सिर्फ लोगों के जानमाल बल्कि खेती का भी बड़ा नुकसान होता है.

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