गोपालगंज: कहते हैं मन में अगर कुछ करने की दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो परेशानी आड़े नहीं आती. इस वाक्य को गोपालगंज की बेटी अहिल्या ने सही साबित कर दिया है. ये महिला आज खुद आत्मनिर्भर बनी और साथ-साथ दूसरों को भी स्वावलंबी बना रही है. इसके साथ ही वह अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी बन चुकी है.
गोपालगंज जिले के मकसूदपुर मंझरिया गांव निवासी विद्या प्रसाद यादव की पुत्री अहिल्या ने मशरुम की खेती की शुरुआत की और ढाई हजार महिलाओं को मशरूम की खेती से जोड़कर रोजगार भी दिया है. जिस कारण आज अहिल्या को लोग मशरूम दीदी के नाम से जानते हैं.
महिलाओं को प्रशिक्षण देती अहिल्या लोगों के लिए बनी मिसाल
ईटीवी भारत ने अहिल्या कुमारी से बात भी की. इस दौरान उन्होंने बताया कि साल 2002 में वह त्रिपुरा गई थी, वहां उन्होंने मशरूम की खेती करते लोगों को देखा और वहीं से कुछ जानकारी प्राप्त कर खुद को खेती से जोड़ने की ठानी. बता दें कि अहिल्या शुरुआती दौर से ही सामाजिक कार्यों में जुटी रहती हैं. उन्होंने कहा कि उनके गांव में ऐसे कई महिलाएं हैं, जो रोजी-रोटी के लिए तरस रही हैं. इसलिए वह मशरूम की खेती के की गुण सीखकर वापस लौटीं और अपने गांव आकर मशरूम की खेती कर लोगों के लिए मिसाल काम कर दिया.
लोगों को दी फ्री में प्रशिक्षण
अहिल्या ने कहा कि शुरूआती दौर में कई समस्याएं भी आई. लोग इस खेती को करना नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा कि लोगों में समझ कम थी लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपना प्रयास जारी रखा. बता दें कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में जाकर निस्वार्थ भाव से समझाना और फिर इसके प्रति लोगों में जगरूकता पैदा करना अहिल्या की दिनचर्या थी. अहिल्या ने कहा कि धीरे धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और लोग समझने लगे. जिसके बाद उन्होंने महिलाओं को फ्री में ही इसकी शिक्षा देनी शुरू कर दी.
कृषि विभाग का मिला साथ
महिला के इस प्रयास को देख कर कृषि विभाग ने इन्हें मशरूम की खेती के लिए प्रोत्साहित किया. इनके ओर से दी गई प्रशिक्षण के बाद किसानों को विभाग की मदद से पैकेट उपलब्ध कराया जाता है. जिसमें भूसी, बीज, दवाइयां समेत कई चीजें दी जाती है. साथ ही इस खेती को करने के लिए किसान को अपने पास से 6 रुपये लगाने पड़ते हैं, बाकी 54 रुपये सरकार मुहैया कराती है.
2010 में हुई थी शादी
अहिल्या ने बताया कि पुलिस विभाग में टेक्निकल ऑफिसर के पद पर कार्य करने का मौका मिला. लेकिन, उन्होंने उसे भी छोड़ कर महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में लगी रही. अहिल्या की शादी साल 2010 में पटना जिले के रणधीर कुमार से हुई. इनके पति पेशे से व्यवसायी हैं. लेकिन, ये अपने बच्चों के साथ अपने मायके में ही रहती हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक शास्त्र से स्नातक तक की पढ़ाई खुद के पैसे से की और इस बीच कई सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा भी लिया. बता दें कि अहिल्या पूर्व में जिला प्रशासन के जिला निगरानी समिति के सदस्य भी रही हैं. वहीं, वर्तमान में सदर अस्पताल में रोगी कल्याण समिति के सदस्य भी हैं. मालूम हो कि अहिल्या सिर्फ मशरूम की खेती के जानकार ही नहीं हैं बल्कि इन्हें 72 प्रकार के ट्रेंड का हुनर है. आचार, अगरबत्ती, मोमबत्ती, पापड़, हथकर्घ, कढ़ाई, बुनाई, सिलाई समेत कई प्रकार का भी प्रशिक्षण महिलाओं को देकर रोजगार से जोड़ती हैं. अहिल्या ने बताया कि साल 2021 और 22 तक 10 -15 हजार महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य है.
10-15 हजार कमा रही महिला
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में जिस तरह अहिल्या जुटी है और उन्होंने 10 से 15 हजार महिलाओ को रोजगार से जोड़ने की प्रतिज्ञा को पूरा करने में लगी है इनके प्रयास महिला प्रति माह 10 से 15 हजार की आमदनी कमा रही हैं. अहिल्या के इस प्रयास से उन महिलाओं के घर के आर्थिक दशा भी बदलने लगी है जो पहले 2 जून की रोटी के लिए जद्दोजहद करती थी.