गया: बिहार के गया (Gaya) जिले के बोधगया में ढुङ्गेश्वरी पहाड़ के तलहट्टी में बसे राहुल नगर गांव में बुद्धिस्ट पर्व उल्लाम्बना (Ullambana Festival) मनाया गया. बौद्ध धर्माबलम्बियों के इस महत्वपूर्ण त्योहार को 'घोस्ट फेस्टिवल' भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस दिन पुरखों की आत्माएं पुनः अपने परिवार में वापस आती हैं, जिनके लिए भोजन और जल अर्पित किया जाता है. इसे पाकर आत्मायें तृप्त हो जाती है. यह त्योहार हिंदुओं द्वारा अपने पितरों के लिए किए जाने वाले पिंडदान और तर्पण जैसे धार्मिक अनुष्ठान के समान ही है.
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जानकारी के मुताबिक राहुल नगर जो दलित और गरीबों का गांव है. जहां ज्ञान प्राप्ति के पूर्व भगवान बुद्ध बोधगया पहुंचे थे. ढुङ्गेश्वरी पहाड़ की गुफा में वर्षों तक कठिन तपस्या करने के बाद वे पहाड़ के किनारे-किनारे बोधगया पहुंचे थे. जहां पर पीपल बृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. सोमवार के इस त्योहार में स्थानीय लोगों ने भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर जल और चावल अर्पित कर पूजा पाठ किया.
वहीं इस त्योहार के बारे में बोधगया के समाजसेवी विवेक कुमार कल्याण ने बताया कि उल्लाम्बना फेस्टिवल को 'घोस्ट फेस्टिवल' के भी नाम से जाना जाता है. बौद्ध परंपरा के अनुसार आज के दिन भूतों के लिए यह पूजा की जाती है, ताकि वे खुश रहे और किसी तरह की परेशानी ना करें. यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है. जिस तरह पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण व श्राद्ध कर्मकांड किया जाता है, ठीक उसी तरह बौद्ध परंपरा में 'उल्लाम्बना फेस्टिवल' का अनुष्ठान किया जाता है. जिसमें भगवान बुद्ध की भी पूजा की जाती है.