गयाःबाराचट्टी क्षेत्र का जंगली इलाका में अफीम की खेती लगातार हो रही है. जिला पुलिस और वन विभाग की दबिश के बावजूद अफीम की खेती में कोई कमी नहीं आई है. गया के जंगलों में उपजी अफीम सीधे पंजाब भेजी हो जाती है. इसके लिए ट्रेन के फर्स्ट क्लास से लेकर बस और ट्रक का उपयोग किया जाता है. हालांकि एसएसपी आदित्य कुमार का दावा है कि इस बार पिछले साल की तुलना में अफीम की खेती का ज्यादा विनिष्टिकरण किया जा रहा है.
नवंबर से शुरू हो जाती है अफीम की खेती
दरअसल, गया जिले के बाराचट्टी प्रखण्ड में सबसे ज्यादा अफीम की खेती की जाती है. जंगली इलाकों के लगभग 100 गांवों में अफीम की खेती की जाती है. नवंबर माह से जंगली इलाकों में अफीम की खेती करने के लिए लोग सुरक्षित जमीन खोजने लगते हैं. गया के बाराचट्टी से आठ राज्यों में अफीम भेजा जाता है. आठ राज्यों में पश्चिम बंगाल, पंजाब, ओड़िसा, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान शामिल है.
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हर साल होते हैं कई मामले दर्ज
गया में अफीम जब्त होने के मामले गया जिले को ड्रग्स डिस्ट्रिक्ट घोषित कर देती है. साल 2018 में 24 कांड अफीम की खेती करने के मामले दर्ज हुआ था. जिसमे साढ़े सात किलो तरल अफीम, अफीम 23 किलो और डोडा 161 किलो जब्त हुए थे. वही 86.5 एकड़ जमीन लगे अफीम की फसल को नष्ट किया गया था. इस 24 कांड में 23 गिरफ्तारी की गई थी.
2019 में 49 कांड प्रतिवेदित हुए है इसमें दो किलो चरस, 48 किलो अफीम तरल,डोडा 2648 किलो, अफीम 12.5किलो, पोस्ता 29 किलो जब्त किया गया है. इस वर्ष तीन वर्षों में सबसे अधिक 47 गिरफ्तारी हुई है.
कई किलो अफीम बरामद
2020 में अबत क चरस 825 ग्राम, अफीम तरल 23,400 किलो, डोडा 146.272 किलो, अफीम 9300 किलो, पोस्ता 10 किलो जब्त किया गया है. इस वर्ष पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई है. 2019 और 2020 वर्ष मिलाकर 375.6 एकड़ जमीन से अफीम की फसल को नष्ट किया गया है. इस साल 2021 में अफीम की खेती का विनिष्टिकरण चल रहा है, जिसके कारण इस साल की रिपोर्ट सामने नहीं आयी है.
250 एकड़ में लगी अफीम का विनिष्टिकण
गया एसएसपी आदित्य कुमार ने बताया कि इस साल 250 एकड़ में लगी अफीम की फसल को विनिष्टिकण किया गया है. संबंधित जमीन मालिकों पर प्राथमिकी दर्ज भी किया गया है. इसमें से 100 एकड़ वन विभाग की जमीन पर खेती की गई है. अफीम की खेती को रोकने के लिए जिला पुलिस, सुरक्षा बल और वन विभाग की टीम लगी हुई है. पिछले साल में अफीम की खेती की विनष्टीकरण मार्च माह में किया जाता था. इस वर्ष जनवरी से शुरू कर दिया गया है.
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आठ राज्यों में होती है अफीम की सप्लाई
जिले में पहले इमामगंज, बाराचट्टी और शेरघाटी क्षेत्र के जंगली इलाकों में अफीम की खेती बड़े पैमाने पर में होती थी. अभी बड़े पैमाने पर बाराचट्टी में अफीम की खेती होती है. बाराचट्टी जंगली क्षेत्र होने के साथ जीटी रोड भी गुजरती है. जीटी रोड के माध्यम से अफीम और अन्य मादक पदार्थ आसानी से लगभग आठ राज्यों में सप्लाई की जाती है. खेत से जीटी रोड तक अफीम पहुंचाने में बच्चे और महिलाओं की मदद ली जाती है. उसके बाद जीटी रोड पर बने होटलों के द्वारा ट्रक पर लोड कर भेज दिया जाता है.
'बड़े पैमाने पर होती है अफीम की खेती'
बता दें कि जिले में अफीम की खेती पुलिस की दबिश के बाद भी बड़े पैमाने पर होती है. इतने बड़े पैमाने पर अफीम की खेती कौन करवाता है, आज तक पुलिस ये साबित नहीं कर सकी. पुलिस का कहना है कि सीधे तौर पर नक्सली अफीम की खेती करवाते हैं. वहीं, नक्सलियों ने पोस्टर जारी कर कई बार कहा है कि अफीम की खेती से मेरा कोई सरोकार नहीं है.