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VIDEO: गया की टीचर ने बनाया मटके वाला कूलर, 500 रुपये में दे रहा AC को टक्कर

कहते हैं कि सफलता पाने का कोई एक सूत्र नहीं हो सकता. सपने देखने की चाह और उन्हें पूरा करने के लिए जी तोड़ मेहनत करते रहने वालों को कोई पछाड़ नहीं सकता. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गया जिले की रहने वाली शिक्षिका सुष्मिता सान्याल ने. तो आइये जानते हैं उनकी मेहनत ने कैसे रंग लाया...

कूलर
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Published : Jul 8, 2021, 12:43 PM IST

Updated : Jul 8, 2021, 2:29 PM IST

गया: बिजली के बढ़ते दाम और कटौती के चलते उमस भरी गर्मी में राहत पाना मुश्किल है. लेकिन सुष्मिता सान्याल के एक आविष्कार ने लोगों को गर्मी से निजात दिला दी है. वो भी इतना सस्ता कि हर कोई इसको घर पर बना सकता है. सुष्मिता के घड़े वाले कूलर की चर्चा दूर दूर तक हो रही है. ये खास तरह का कूलर लोगों को न सिर्फ गर्मी से बचा रहा है बल्कि पर्यावरण का संरक्षण भी करता है.

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दरअसल चंदौती उच्च विद्यालय (Chandauti High School In Gaya) की शिक्षिका पिछले कई सालों से कचरे का निष्पादन के लिए कार्य कर रही हैं. घर के कचरे से जैविक खाद बनाना और लोगों को इसके लिए जागरूक करना इनकी दिनचर्या है. इसी बीच दीपावली के पूर्व घर की सफाई में निकले कचड़े को उन्होंने इकट्ठा कर कुछ बनाने का सोचा और उन्होंने मात्र 500 रुपये में एक घड़े वाले कूलर (Pitcher Cooler) को बना दिया.

देखें रिपोर्ट.

यह कूलर खासकर मध्यवर्गीय परिवारों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो रहा है. इस कार्य के लिए शिक्षिका सुष्मिता सान्याल को प्रधानमंत्री विज्ञान प्रोद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद ने अवार्ड लेटर और नेशनल फेलोशिप देकर सम्मानित किया जा चुका है. इस कूलर में ऊर्जा के लिए कचरों का इस्तेमाल कैसे किया जाए इस पर सुष्मिता सान्याल नेशनल फेलोशिप से एक साल तक शोध करेंगी.

'अमूमन बाजार में कूलर तीन हजार से कम का नहीं होता है. कूलर को घर में रखना उसका बिजली खर्च हर किसी के बस की बात नहीं होती है. दीपावली में घर की सफाई में निकले कचरे से मुझे कुछ अलग बनाना था, तो मैं एक सस्ता और उपयोगी कूलर बना दिया. इस कूलर में पेंट की बाल्टी, एक पुराना घड़ा, खराब कूलर का मोटर, एक छोटा सा फैन, एक बाइक बैटरी लगाया गया है.'-सुष्मिता सान्याल, शिक्षिका

जानिए किन सामानों की होती है जरूरत.

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इस कूलर को बनाने में बाजार से सिर्फ एक प्लास्टिक फैन की खरीदारी की गई है. बाकी अन्य सामानों को घर से निकले कचड़े का इस्तेमाल किया गया है. इन सभी सामानों को बाजार खरीदने से 400-500 रुपये का खर्च पड़ेगा. यह कूलर बिल्कुल आवाज नहीं करता है. इस कूलर में काफी ऊर्जा की जरूरत नहीं होती है. एक तरह से कह सकते है कि यह कूलर इको फ्रेंडली है. इस कूलर में बाल्टी का उपयोग सांचा के लिए किया गया है, जो कि कही भी आसानी से ले जाया जा सकता है.

इस घड़ा वाले कूलर में एक बाल्टी में घड़ा रखकर उसमें पानी भर दिया जाता है. घड़ा में एक मोटर लगा रहता है जो बाल्टी के अंदर हिस्से में ऊपर से पानी गिराता रहता है. घड़ा का पानी ठंडा रहता है. जैसे ही फैन चलता है, फैन घड़े के पानी की नमी को ऑब्जर्व करता है और बाहर के छिद्र से हवा फेंकता है. इस कूलर के सामने बैठा व्यक्ति अधिक गर्मी में ठंडक महसूस करने लगता है.

यह कूलर मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में काम करनेवाली महिलाओं के लिए बनाया गया है. महिलाएं कम पैसों में कूलर को आसानी से बनाकर उपयोग कर सकती हैं. शिक्षिका ने बताया कि उनके इस अविष्कार को देख स्कूल के दो बच्चे भी उपयोग कर रहे हैं. बच्चे पढ़ाई करते समय कूलर का इस्तेमाल करते हैं. वहीं गोलगप्पे बेचने वालों ने भी इस कूलर को अपने ठेला पर लगवा रखा है.

कूलर की विशेषता.

आपको बता दें कि सुष्मिता सान्याल इस कूलर को कचरे से ऊर्जा पैदा करके चलाना चाहती हैं. बहरहाल अभी इसे सौर ऊर्जा से चलाने का प्रयास किया जा रहा है. इसमें इन्ही के स्कूल के दो शिक्षक इनका साथ दे रहे हैं. जब यह कूलर सौर ऊर्जा या बायो ऊर्जा से चलने लगेगा तो यह सही मायने में लोगों को फायदा पहुंचेगा. शिक्षिका सुष्मिता सान्याल कूड़े से विभिन्न तरह के उर्जा उत्पन्न करने का प्रयास विगत 3 सालों से कर रही हैं. उन्होंने कूड़े, जीरो वेस्ट पर अपना प्रोजेक्ट कंप्लीट किया था.

60 प्रोजेक्ट का चयन देश के 33 राज्यों से किया गया था. जिसमें एक प्रोजेक्ट घड़े का कूलर का भी चयन किया गया और आगे शोध करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से सुष्मिता को नेशनल फेलोशिप दिया गया है. अब सुष्मिता अपने टीम के साथ एक साल तक कचरे से ऊर्जा पैदा करने पर शोध करेंगी. एक साल बाद प्रधानमंत्री विज्ञान प्रोद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद को अपना प्रोजेक्ट सौंपेगी.

Last Updated : Jul 8, 2021, 2:29 PM IST

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