गया: बिहार में शिक्षा व्यवस्था का हाल स्कूल के हालात से ही पता चलता है. सुशासन की सरकार शिक्षा को लेकर तमाम दावे करती है. लेकिन जिले के कोंच स्थित राजौरी गांव का राजकीय प्राथमिक विद्यालय विभाग की पोल खोलता नजर आ रहा है.
जिले के कोंच प्रखंड स्थित रजौरी गांव जहां 2011 में बिना भवन के ही स्कूल खोला गया. ग्रामीणों के सहयोग से स्कूल को एक झोपड़ी में चलाया जा रहा था. हालांकि आंधी में झोपड़ी भी उजड़ गयी. स्कूल में भवन नहीं है. लेकिन दो शौचालय के दीवारों पर स्कूल का नाम अंकित हैं. इसके अलावे मिड डे मील का मेन्यू भी लिखा हुआ है. यहां स्कूली बच्चे जाड़ा, गर्मी, बरसात में खुले आसमान के नीचे में बैठकर पढ़ाई करते हैं.
ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट गांव के युवक बच्चों को दे रहे मुफ्त शिक्षा
प्राथमिक विद्यालय रजौरा में एक शिक्षक की नियुक्त है. शिक्षक मन मुताबिक आते हैं. अनाज नहीं उपलब्ध होने के कारण कई महीनों से बच्चों को मिडे मिल नहीं मिला है. सरकार की अनदेखी के बाद गांव के दो युवक बच्चों को मुफ्त पढ़ा रहे हैं. वहीं, ग्रामीण झोपड़ी बनाने में जुटे हैं. ग्रामीणों को सरकार से इस बात की नाराजगी है कि स्कूल के पास कोई सुविधा नहीं है. स्कूल सिर्फ शौचालय के दीवार तक सीमित रह गया है.
तैयार होगी स्कूल की बिल्डिंग
स्कूल में 100 छात्रों की जगह मात्र 50 स्कूल आते हैं. स्कूली बच्चों की मांग है कि सरकार स्कूल का निर्माण करवाए. इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी मुस्तफा हुसैन मंसूरी को ईटीवी ने स्कूल की जानकारी दी. पदाधिकारी ने स्कूल में एक की जगह पर दो और भवन निर्माण के लिए पैसा आवंटित करने का आदेश दिया. मुस्तफा हुसैन मंसूरी ने बताया कि जबतक विद्यालय का निर्माण नहीं होता तबतक स्कूल तरारी मध्य विद्यालय में शिफ्ट किया जायेगा.