गया:बोधगया मठ (Bodhgaya Math) में 1880 में एक पुस्तकालय (Library Bodhigaya) की स्थापना की गई थी. इसमें ईसा पूर्व के ताड़पत्र से लेकर कई धर्मों की धार्मिक और साहित्यिक पुस्तकें मौजूद हैं. लेकिन संरक्षण के अभाव में यह पुस्तकालय अपने अस्तित्व को खोता जा रहा है, जिसके कारण कई प्राचीन पुस्तकें खराब हो चुकी हैं.
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इस पुस्तकालय में 2033 साल पुरानी दुर्लभ पांडुलिपियों (Rare Manuscript) और ईसा पूर्व के ताड़पत्र सुरक्षित हैं. बोधगया मठ के इस पुस्तकालय के अध्यक्ष कभी दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह (Rameshwar Singh) और उपाध्यक्ष गिद्धौर महाराज हुआ करते थे. वहीं कार्यकारी सचिव तत्कालीन जिलाधिकारी हुआ करते थे. इस पुस्तकालय में स्वामी विवेकानंद, रविन्द्र नाथ टैगोर, जगदीश चंद्र बसु भी आये थे. स्वामी विवेकानंद ताड़पत्र में लिखे वेद की रचनाओं को कॉपी करके अपने साथ भी ले गए थे.
बोधगया मठ के महंत स्वामी विवेकानंद ने बताया कि इस पुस्तकालय का अतीत काफी गौरवशाली रहा है. इस पुस्तकालय में किताबों की गिनती करना मुश्किल है. हर एक अलमारी से सदियों पुरानी किताबें निकली जा रही हैं.
इस पुस्तकालय की स्थापना मठों के साधु संत औए विदेश से आनेवाले विद्वानों के लिए किया गया था. यहां साधु संत 1880 ई. में इंग्लिश में किताबें लिखते थे और अध्ययन करते थे. इस पुस्तकालय के बारे में साल 1922 के तत्कालीन जिलाधिकारी ने एक डॉक्यूमेंट्री पुस्तक लिखी है. जिसमे उन्होंने बताया है कि इस पुस्तकालय के अध्यक्ष दरभंगा महाराज और उपाध्यक्ष गिद्धौर महाराज थे.- स्वामी विवेकानंद, महंत, बोधगया मठ