गयाः विश्व प्रसिद्ध मोक्ष और ज्ञान की धरती गया नशे की खेती के लिए भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचानी जाती है. यहां के नक्सल प्रभावित क्षेत्रो के जंगल में नक्सली अफीम उपजाते हैं. जिसकी जीटी रोड के होटल संचालक अन्य राज्यों में सप्लाई करते हैं. हालांकि, पुलिस की दबिश से इधर के सालों में अफीम माफियाओं की कमर टूट गई है.
100 गांवों में होती है खेती
दरअसल गया जिले के 24 में से 13 प्रखंड नक्सल प्रभावित क्षेत्र माने जाते हैं. इन क्षेत्रों में नक्सली घटना का अंजाम देते रहते है. वे अपना जीवनयापन चलाने के लिए लेवी मांगने के साथ ही जंगली इलाकों में अफीम की खेती करते हैं. जिले के बाराचट्टी प्रखंड में सबसे ज्यादा अफीम की खेती की जाती है. जंगली इलाके के लगभग 100 गांवों में इसकी खेती की जाती है.
डर से किसान दे देते हैं अपनी जमीन
बताया जाता है कि नक्सली नवंबर महीने से जंगली इलाकों में अफीम की खेती करने के लिए सुरक्षित जमीन खोजने लगते है. खेत के मालिक नक्सलियों के डर से उन्हें जमीन दे देते हैं या खुद मजदूर की तरह खेती करने लगते है. इन खेत के मालिकों या किसानों को नक्सली गेहूं के खेत के बराबर राशि देते हैं.
आठ राज्यों में होती है सप्लाई
बाराचट्टी प्रखंड से आठ राज्यों में अफीम भेजा जाता है. इनमें पश्चिम बंगाल, पंजाब, ओड़िसा, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं. इस संबंध में सिटी एसपी राकेश कुमार ने बताया कि अफीम की खेती रोकने में जिला पुलिस अभियान और एसएसबी लगी रहती है.
23 लोगों की गिरफ्तारी
एसपी ने बताया कि पिछले साल 2018 में 24 कांड अफीम की खेती करने के मामले दर्ज हुए थे, जिसमें 397 किलो गांजा, साढ़े सात किलो तरल अफीम, 23 किलो अफीम और 161 किलो डोडा जब्त हुए थे. वहीं 86.5 एकड़ जमीन में लगे अफीम की फसल को नष्ट किया गया था. इस 24 कांड में 23 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी.