गया:आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है. कारगिल के युद्ध में गया के टिकारी के दो वीर सपूतों ने देश की रक्षा करने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी. गया के मिथलेश पाठक भी उनमें से एक थे. उन्होंने भी देश के नाम अपना जीवन कर दिया.
जिसने देश के लिए कारगिल में दी शहादत, सालों बाद भी नहीं बना उसका स्मारक
आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है. लेकिन इस दिवस को विजय दिवस बनाने वाले शहीद मिथलेश पाठक के नाम का अबतक स्मारक नहीं बन पाया है. सरकारी मुलाजिमों ने उस वक्त घोषणाओं की झड़ी लगा दी की बहुत सारी घोषणाएं तो हुई लेकिन सबकुछ अधूरा है.
शहीद मिथिलेश पाठक
शहादत का ऋणी है देश
मिथलेश पाठक की शहादत का ऋणी पूरा देश है. लेकिन इस वीर बेटे की वीरता को याद रखा जाए इसके लिए अबतक कोई स्मारक नहीं बना है. 19 साल बीत जाने के बाद भी उनके नाम का कोई स्मारक नहीं है.