गया में मां मंगला गौरी के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु गया : बिहार के गया में देश के 18 महाशक्ति पीठ में से एक मां मंगला गौरी का मंदिर है. मां मंगला गौरी का मंदिर पालनपीठ के रूप में देश भर में विख्यात है. मां मंगला गौरी मंदिर का उल्लेख वायु पुराण, पद्म पुराण, अग्नि पुराण समेत अन्य ग्रंथों में है. यहां सदियों से अनवरत अखंड ज्योति जलती है. कहा जाता है कि यहां प्रकाश जलाने पर रोक है. माता के इस मंदिर में सिर्फ अखंड ज्योति की ज्योत ही प्रकाशयमान रहती है.
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भस्म कूट पर्वत पर है मां मंगला गौरी का मंदिर : गया के भस्म कूट पर्वत पर मां मंगला गौरी का मंदिर है. इसे देश की 18 महाशक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ में गिना जाता है. यहां माता सती का वक्ष स्थल विराजमान है. भक्तों की आस्था है कि यहां माता मंगला की शक्तिशाली मूर्ति है. माता जी का वक्ष स्थल है. यहां भक्त जो भी मांगे, वह पूरा हो जाता है.
भस्म कूट पर्वत पर गिरा था मां का वक्ष स्थल: मां मंगला गौरी मंदिर देश के चमत्कारी, मंगलकारणी और प्रार्थना स्वीकारने वाली माता के रूप में है. मंगला गौरी से जुड़ी कथा के अनुसार राजा दक्ष ने जब यज्ञ किया था, तो उसमें भगवान भोलेनाथ और माता सती को नहीं बुलाया था. फिर भी माता सती ने भगवान शिव से कहा कि मेरे पिता भूल गए होंगे और वह अपने पिता के यहां हो रहे यज्ञ में शामिल होने जा रही है. भगवान शिव के मना करने पर कि राजा दक्ष ने आमंत्रण नहीं दिया है, तो ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है. फिर भी माता सती चली गईं.
यज्ञ कुंड में दी थी मां ने अपनी आहूती: वहां पहुंचने पर माता सती का मान मर्यादा नहीं हुआ, तो उन्होंने खुद को अपमानित महसूस किया, उन्हें लगा कि भगवान शिव ने उन्हें मना किया फिर भी वह यहां आई और यहां हमारा अपमान हुआ है. इसे लेकर माता सती ने अग्नि को प्रकट किया और खुद उसमें समा गईं. इसका पता चलते ही भगवान शिव क्रोधित हुए और फिर माता सती के शरीर को लेकर तीनों लोक घूमने लगे. इस क्रम में कामरूप कामाख्या में माता का उत्पत्ति भाग, मां मंगला गौरी मंदिर में वक्ष स्थल गिरा.
मां मंगला गौरी का मंदिर में दर्शनार्थी पालनहार-पालनपीठ के रूप में जानी जाती है माता मंगला: पुजारी संजय कुमार गिरी बताते हैं कि कामरूप कामाख्या महाशक्ति पीठ उत्पत्ति वाली माता के रूप में जानी जाती है. वहीं, मां मंगला गौरी पालन पीठ के रूप में जानी जाती है, क्योंकि यहां माता वक्ष स्थल है. वहीं ज्वालामुखी जो हिमालय के पास है वह संहार वाली माता के तौर पर शक्ति पीठ के रूप में पूजी जाती हैं.
अनवरत प्रज्ज्वलित होती है ज्योत : मां मंगला गौरी माता की महिमा पालनहार के रूप में है. यहां मां मंगला गौरी के गर्भ गृह में जहां वक्ष स्थल विराजमान है, जो कि गुप्त शक्ति पीठ के रूप में मौजूद है. यह लक्ष्मी नारायण की मूर्ति है. वहीं, शंकर पार्वती की भी प्रतिमा है. यहां अखंड ज्योति सदियों से प्रज्ज्वलित होती रहती है, जो आज भी अनवरत प्रज्ज्वलित है.
देश की इस महाशक्ति पीठ में नहीं जलता है प्रकाश: वहीं, आकाश गिरी बताते हैं कि मां मंगला गौरी मंदिर देश के महाशक्ति पीठ में से एक है. यहां अखंड ज्योति सदियों से प्रज्ज्वलित होती रहती है. यहां लाइट बत्ती बिजली जलाने की मनाही है. यहां मंदिर के गर्भ गृह में सिर्फ अखंड ज्योति जलती रहती है.
''मां के ज्योत के माध्यम से ही इस मंदिर में पूजा अर्चना होती है. वहीं, यह भी मान्यता की मां का कुछ हिस्सा मंगला गौरी मंदिर के पीछे वाले भाग में गिरा था, जहां भक्त अपना सिर टेकते हैं और अपना दुखड़ा रोते हैं. कहा जाता है की मां उनकी सुन लेती हैं और उनके दुख को दूर कर देती हैं.''- आकाश गिरी, मंदिर के पुजारी
नवरात्र में आती है मां के दरबार में भक्तों की भीड़ : मां मंगला गौरी मंदिर में नवरात्र के दिनों में अहले सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. अहले सुबह के 2 बजे से ही यहां भक्त आने शुरू हो जाते हैं. कतारों में लगकर माता के दर्शन का इंतजार करते हैं. सुबह में 4:00 बजे के करीब पट खुलने के बाद माता का श्रृंगार पूजन होता है, जिसके बाद भक्त मंदिर में जाकर माता का दर्शन करते हैं और अपनी मन्नते मांगते हैं. इस तरह मां मंगला गौरी मंदिर देश के महाशक्ति पीठ में से एक है और इस मंदिर की महिमा अपरंपार है.
देशभर से आते हैं दर्शन को भक्त : तकरीबन देश के सभी राज्यों से भक्तों का यहां आना होता है. देश की सभी हिस्सों से भारी संख्या में माता के भक्त यहां दरबार में पहुंचते हैं और जयकारे लगाते हुए अपनी मन्नत मांगते हैं. मान्यता है, कि इस मंगला गौरी मंदिर में माता पालनहार पालन पीठ के रूप में मौजूद है और भक्तों पर अपनी दया दिखाती है. वही संबंध में माता के दर्शन करने आए वेंकट रमन, राजेश्वरी ने बताया कि ''यह शक्तिपीठ काफी शक्तिशाली है. यहां दर्शन करने की इच्छा थी, आज पूरी हो गई है. हम सभी के सुखी होने की कामना को लेकर यहां आए हैं. माता का दर्शन कर धन्य हो गए.''