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18 साल पहले सिपाही बने थे, अब बने हैं अफसर, किसान बेटे की दिलचस्प है कहानी - Manish Kumar became Lieutenant

कहते हैं अगर आप में कुछ कर गुरजने की इच्छा है तो कोई भी बाधा आपको डगमगा नहीं सकती है. आपको अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना होगा. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गया के मनीष कुमार ने. आगे पढ़ें पूरी कहानी.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 1, 2023, 6:46 AM IST

गया : गया बिहार के गया के रहने वाले मनीष कुमार अब सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं. 25 नवंबर 2023 को आईएमए देहरादून से ऑफिसर्स कैडेट की कठिन ट्रेनिंग पास कर वह सेना के लेफ्टिनेंट पद पर ऑफिसर बने. मनीष कुमार के पिता वीरेंद्र सिंह पेशे से किसान हैं और इन्होंने अपने बेटे को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए काफी मेहनत की. अब बेटा सेना में लेफ्टिनेंट बना है.

2005 में सेना में सिपाही के पद से की थी जॉइनिंग :गया के बोधगया के कोशिला गांव के मनीष कुमार के संघर्ष की कहानी काफी लंबी है. साल 2005 में मनीष कुमार सेना के कोर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर में भर्ती हुए थे. यह पद सेना में सिपाही का था. इस पद पर भर्ती होने के बाद मनीष कुमार ने अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास जारी रखा. यही वजह है मनीष अब लेफ्टिनेंट है.

अपने पिता और परिवार के साथ मनीष कुमार.

सिपाही से लेफ्टिनेंट तक का सफर : मनीष ने सेना में सिपाही के पद पर भर्ती होकर कैरियर की शुरुआत करने के बाद जनवरी 2023 में जेसीओ के पद पर प्रोन्नति प्राप्त की थी. अप्रैल महीने में सर्विस सिलेक्शन बोर्ड भोपाल में पीसीएल के लिए चयनित हुए थे. अब 25 नवंबर 2023 को देहरादून से पासिंग आउट होकर सेना में पर ऑफिसर बने हैं. इनके ऑफिसर बनने से गांव सहित जिले भर के लोगों में काफी खुशी व्याप्त है. गया के लाल को बधाईयों का तांता लगा है. कृषि मंत्री समेत कई नेताओं ने उन्हें बधाइयां दी है.

पिता किसान, बेटा बना अफसर :बताया जाता है कि मनीष के पिता वीरेंद्र सिंह काफी मुफलिसी के बीच परिवार की गाड़ी खींच रहे थे. सेना में सिपाही के पद पर मनीष भर्ती होने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी. 10+2 में भर्ती होने के बाद स्नातक एवं स्नातकोतरा किया और ऑफिसर बनने का बचपन के सपने को जिंदा रखा.

बचपन में देखा था सपना :मनीष ने बचपन में ही सपना देखा था कि वह एक दिन सेना में ऑफिसर बनेंगे. यही वजह रही कि सिपाही पद पर योगदान देकर भर्ती जरूर हुए, लेकिन अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास जारी रखा. मनीष की प्रारंभिक पढ़ाई बोधगया के खजवती में हुई.

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