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Pinddan in Gayaji: 150 विदेशी मेहमानों का दल पहुंचा गया, पितरों के मोक्ष को लिए फल्गु नदी के तट पर किया पिंडदान - ETV bharat News

Moksha Dham Gaya पितरों के मोक्ष के लिए और पिंडदान करने गयाजी में हर सनातनी परिवार एक बार जरूर आते हैं. लेकिन यह सिलसिला लगभग सालों भर चलता है. शुक्रवार को 150 विदेशी मेहमानों का दल गया पहुंचा. जहां शहर के फल्गु नदी के तट पर स्थित देवघाट पर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर्मकांड किया.पढ़ें पूरी खबर..

गया में पिंडदान
गया में पिंडदान

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Published : Mar 17, 2023, 7:27 PM IST

गया:बिहार के गयाको मोक्ष धाम (Foreign devotees performed pinddaan in Gaya) कहा जाता है. पिंडदान करने के लिए गयाजी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. वैसे तो पितृपक्ष मेला के दौरान देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्री गयाजी में अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर्मकांड करते हैं. लेकिन अब यह सिलसिला लगभग सालों भर चल रहा है. शुक्रवार को 150 विदेशी मेहमानों का दल गया पहुंचा. फल्गु नदी के तट पर स्थित देवघाट पर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर्मकांड किया.

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गया में धार्मिक विधि-विधान से पिंडदान कर विदेशी मेहमानों ने पूर्वजों को किया याद

15 देश के लोग हैं शामिल:गयाजी में देश के विभिन्न कोने से तीर्थयात्री यहां आते हैं और पिंडदान, तर्पण व श्राद्ध कर्मकांड की प्रक्रिया को पूरा करते हैं. इस मौके पर स्थानीय पंडा अरविंद लाल कटिरयार ने कहा कि कुल 150 विदेशियों ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए धार्मिक विधि-विधान से पिंडदान कर्मकांड किया है. जर्मनी, रसिया, कीनिया, स्पेन सहित कुल 15 देशों के लोग शामिल हैं, जो पिंडदान कर्मकांड कर रहे हैं. इनकी आस्था भारतीय पिंडदान कर्मकांड में है.

धार्मिक अनुष्ठान के साथ पिंडदान कर्मकांड :स्थानीय पंडा अरविंद लाल कटिरयार ने कहा किविश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में विष्णु चरण के दर्शन करने के बाद ये श्रद्धालु पटना होते हुए अपने देश को लौट जाएंगे. पूरी धार्मिक अनुष्ठान के साथ पिंडदान कर्मकांड को कराया गया है, ताकि इनके पितरों की आत्मा को शांति मिल सके.

गया के फल्गु नदी के तट पर विदेशी मेहमानों ने किया पिंडदान

"150 विदेशी मेहमानों का दल गयाजी पहुंचा. जहां शहर के फल्गु नदी के तट पर स्थित देवघाट पर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर्मकांड किया. पूरे धार्मिक विधि-विधान से मंत्रोच्चारण के साथ पिंडदान की प्रक्रिया की गई."- अरविंद लाल कटिरयार, पंडा

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