गया (बोधगया): ज्ञान की धरती से बोधगया अब कुछ दिनों में क्राफ्ट के क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य के लिए जानी जाएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि बोधगया नगर पंचायत क्षेत्र के रामपुर गांव का चयन क्राफ्ट हैंडलूम विलेज के तहत हुआ है. पूरे देश में दस गावों का चयन किया गया है. उसमें से एक गांव बिहार का रामपुर गांव है. इस गांव के बुनकरों को चरखा की जगह पर 90 फीसदी अनुदान पर हैंडलूम दिया जा रहा है. साथ ही गांव की स्वर्णिम विकास के लिए 20 योजनाओं की अनुमति दी गई है. इस गांव को केंद्र सरकार ने पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने का योजना बनाई है.
आ गए अच्छे दिन
बिहार के बोधगया प्रखण्ड में स्थित रामपुर गांव के ग्रामीण वर्षों से भेड़ के ऊन से कंबल बनाने का काम करते आ रहे हैं. सरकार को जब इस गांव की पारंपरिक तरीके से कंबल बुनाई का इल्म हुआ तो कपड़ा मंत्रालय ने इस गांव को क्राफ्ट हैंडलूम विलेज के तहत शामिल कर दिया. इसके तहत महत्वपूर्ण पर्यटन सर्किट क्षेत्र के चुनिंदा हैंडलूम व हैंडी क्राफ्ट वाले गांव को क्राफ्ट विलेज के तौर पर विकसित किया जाएगा.
90 फीसदी अनुदान पर हैंडलूम
रामपुर गांव के लोग पारंपरिक तरीके आज भी भेड़ के ऊन से चरखा की मदद से कंबल तैयार करते हैं. इस दौर में लोग भेड़ चराने 100 से 200 किलोमीटर का यात्रा तय करते हैं. गांव के अधिकांश पुरुष पहले भेड़ लेकर निकल जाते थे. महिलाएं घर में कंबल बनाती थी. अभी के दौर में ये संख्या दर्जनों में समिति रह गया है. सरकार परंपरागत तरीके से कंबल बुनाई को बढ़ावा देने के लिए सभी इच्छाधारी को 90 फीसदी अनुदान पर हैंडलूम दिया है.
20 परिवारों को मिला हैंडलूम अब बढ़ जाएगी इनकम
गांव की महिलाएं बताती हैं कि पहले हमलोग भेड़ के ऊन से कंबल बनाते थे. कुछ दिन पूर्व गांव में कुछ लोग आए और उसके बाद मामुली रकम लेकर हैंडलूम देकर चले गए. जिससे खुशी है. पहले एक कंबल बनाने में जितना वक़्त लगता था अब उतने ही वक्त में हैंडलूम के जरिये तीन से चार चादर तैयार कर लेते हैं. गांव में सरकार की इस योजना से हमलोग बहुत खुश हैं अभी 20 लोगों को पहले फेज में हैंडलूम मिला है अगले फेज में बाकी 20 लोगों को हैंडलूम दिया जाएगा.
ज्यादातर लोग पालते हैं भेड़
गांव में ज्यादातर गड़ेरिया लोग हैं. जो भेड़ पालते हैं और उसके ऊन से कंबल बनाकर बेचते हैं. भेड़ के ऊन से कंबल बनाने में दो दिन लगता है और उसके दाम से दो दिन की मजदूरी भी नहीं निकलता है. अब सरकार ने इनलोगों की परेशानी को समझा है और इस व्यवसाय से जुड़े सभी को हैंडलूम दिया है. एक हैंडलूम की कीमत 30 हजार में है. सरकार 90 फीसदी अनुदान दी है. लिहाजा महज तीन हजार में हैंडलूम मशीन मिल गया है. इसी के साथ गांव का भी चहुमुखी विकास की उम्मीद है. क्योंकि अलग-अलग 20 योजनाओं को जरिए गांव के विकसित किया जाान है.
20 योजनाओं से विकसित होगा गांव
बोधगया नगर पंचायत के लेखापाल ने बताया कि रामपुर गांव को पूरे देश मे क्राफ्ट हैंडलूम विलेज के तहत चयन किया गया है. यहां के सभी बुनकरों को हैंडलूम दिया गया है और बाकी लोगों को देने की योजना है. गांव में विकास के 15 कार्यों की अनुमति दी गयी है. उसे जमीनी हकीकत पर उतारने के लिए नगर पंचायत लगा हुआ है. गांव के सभी का घरों को सरकार वाल पेंटिंग करवाएगी. जिन बुनकरों के घर नहीं बने हैं. उन्हें घर बनाने के लिए राशि दी जाएगी, गांव में कैफेटेरिया, मार्केट भी खोलने की योजना है. इस गांव का चयन वस्त्र मंत्रालय ने की है.
गौरतलब है कि रामपुर गांव को पर्यटन के दृष्टिकोण से भी विकसित किया जाएगा ,इस गांव में उन्नत गांव को पर्यटकों को दिखाया जाएगा. एक गांव में लोग अपने घर में कैसे खुशहाल और सरकार की योजनाएं कितनी असरदार रही हैं. सरकार क्राफ्ट हैंडलूम विलेज को जमीनी हकीकत पर लाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है.