गया:जिले में मॉनसून के दस्तक देते ही जापानी बुखार का असर दिखने लगता है. जिले में अब तक कुल 10 बच्चे जेई पॉजिटिव पाए गए हैं. बुखार लगने से गुरारू प्रखंड के महुआइन गांव में रहने वाले कमलेश मांझी के 2 बच्चों की मौत हो चुकी है. तीसरे बच्चे की हालत भी गंभीर है. लेकिन सरकार की तरफ से जेई या एईएस को लेकर गांव में कोई जागरुकता अभियान नहीं चलाया गया है.
महुआइन गांव में फेल होते दिखे जिला प्रशासन के दावे
जिला प्रशासन ने दावा किया था कि जेई से निपटने के लिए 11 जुलाई से 13 जुलाई तक ग्राम सभा कर लोगों को जागरूक किया गया है. एईएस/जेई प्रभावित संदिग्ध जगहों पर छिड़काव किया गया है. 28 हजार बच्चों का टीकाकरण भी किया गया है. लेकिन, इन दावों का एक अंश भी महुआइन गांव तक नही पहुंचा है.
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र डॉक्टरों की टीम ने की सिर्फ खानापूर्ति
गांव के महादलित टोला में रहने वाले कमलेश मांझी के घर के आसपास गंदगी, सुअर और मच्छर का कब्जा है. जेई बीमारी इन्हीं से उत्पन्न होती है. डॉक्टर की टीम ने कमलेश मांझी के घर जाकर बस खानापूर्ति की. डॉक्टर ने कहा कि महूआइन गांव में जेई का कोई असर नहीं दिखा, इसलिए वहां छिड़काव नहीं किया गया है. ग्रामीणों को एईएस/जेई के बारे जागरूक तक नहीं किया.
डॉक्टर ने मछली और अंडा खिलाने को कहा
कमलेश मांझी ने बताया कि उनका तीसरा बच्चा 8 वर्षीय सुदामा बुखार की वजह से अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता है. सुदामा के शरीर में सिर्फ हड्डी का ढांचा ही नजर आता है. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से जब डॉक्टर आए तो बिना दवा दिए ही चले गए. उन्होंने बस मछली और अंडा खिलाने को कहा और जब बुलाया जाए तब आने को कहा.
क्या कहते हैं डॉक्टर?
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी डॉ मंजर हुसैन ने बताया कि कमलेश मांझी की पुत्री की मौत सूखा रोग से हुई थी. उनके बेटे को भी सूखा रोग हुआ है. बेटे को अस्पताल में भर्ती कराने को कहा गया था, लेकिन कमलेश ने बच्चे को अभी तक भर्ती नहीं कराया. उन लोगों ने कमलेश के घर जाकर जांच की तो वहां जेई का कोई भी असर नहीं दिखा. जो दिशा निर्देश एईएस और जेई के लिए मिला है उसे पूरा किया जा रहा है. अब तक सिर्फ एक ही गांव में जेई के लिए छिड़काव किया गया है.