पूर्वी चंपारण :जन सुराज पदयात्रा पर निकले प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार लालटेन और कमल के बीच लटके हुए (Prashant Kishor On Nitish Kumar) हैं. नीतीश का कोई एक निर्णय नहीं होता, वे कभी लालटेन तो कभी कमल की ओर अपना झुकाव बनाए रखते हैं. अपने फायदे के हिसाब से अपना आधार परिवर्तित करते रहते हैं. हर बार मतदान के कुछ दिन पहले आकर लोगों से वादे करते और मतदान के बाद जिले से गायब हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि अब वह नीतीश कुमार के साथ नहीं जाएंगे.
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अब सियार तरकुल के नीचे ना अइहन :प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के साथ जाने की बात को नकारते हुए भोजपुरी की कहावत को बोले 'फिर-फिर अब सियार तरकुल के नीचे ना अइहन.' अब तय कर लिए हैं कि नेता और दल के लिए काम नहीं करना है. दस वर्षों तक यह काम किया. देश के बड़े-बड़े नेता और दल के साथ काम किया. अब जनता के साथ काम करना है.
''पदयात्रा शुरू करने के पहले नीतीश कुमार बुलाए और कहे कि राज्य में हम बहुत विकास कर लिए हैं. आप हमारे साथ रहिए, काहेला ई बखेड़ा कर रहे हैं. तब हम उनका के कहनी कि ये सर, 2015 में हम राउर मदद कइनी, त महागठबंधन के सरकार बनल. फिर रउआ बिना मतलब के भाजपा संगे चल गइनी औरी फेर रउआ पलट के आ गइनी लालू जी के साथ. त ऐकर का भरोसा बा, फिर लागल जाई, त रउआ पलट के दोसर जगह चल जाएम. ऐही से फिर से अब सियार तरकुल के नीचे ना अइहन.''- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
कभी मुद्दों पर वोट नहीं करते : जन सुराज पदयात्रा के दौरान पूर्वी चंपारण (Prashant Kishor Jan Suraj Padyatra) के कुदरकट पंचायत के धापहर गांव में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि नेताओं ने बिहार को ऐसा बना दिया है कि लोग हिन्दू-मुस्लिम में फंस गए हैं. उम्मीदवार की जाति क्या है उसको चुनते हैं. वे शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार, बेहतर भविष्य के लिए वोट नहीं करते हैं. नेता चुनाव जीतने के बाद हेलीकॉप्टर की सवारी का मजा लेते हैं और यही रवैया वह पुनः दोहराते हैं, लेकिन बिहार में बदलाव के नाम पर एक ईंट भी नहीं बदलते हैं.