पूर्वी चंपारण:बिहार के मोतिहारी (Motihari) में टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन के बाद गरीबी की कोख से जन्मी प्रतिभाओं का उत्साह बढ़ा हुआ है. लेकिन, सरकारी मदद के बिना उनकी प्रतिभा को निखार पाना मुश्किल दिख रहा है. गरीबी के साये में उड़ान भरने के लिए छटपटा रहा ऐसा ही एक खिलाड़ी पूर्वी चंपारण (East Champaran) जिले के ढ़ाका अनुमंडल क्षेत्र स्थित परसा गांव में रहता है.
ये भी पढ़ें-राष्ट्रीय खेल दिवस पर 73 खिलाड़ियों का सम्मान, बिहार सरकार ने बढ़ाया मनोबल
लॉन बॉल और कराटे के खेल में कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुका चितरंजन कुमार एशियन गेम्स में देश का नाम रौशन करना चाहता है, लेकिन उसके सपने गरीबी की आग में झुलसते दिख रहे हैं, क्योंकि उसके पास प्रैक्टिस के लिए समुचित साधन नहीं है. लॉन बॉल किट के अभाव में वो प्रैक्टिस भी नहीं कर पा रहा है. किट खरीदने के पैसे उसके पास नहीं है और उसकी मदद करने को कोई आगे नहीं आ रहा है, जबकि वो स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी मिल चुका है.
चितरंजन की मां उदवंती देवी ने अपने बेटे की क्षमता और उसके जुनून को देखकर किसी तरह उसकी इच्छा को पूरी की. वो अपने बेटे के उपलब्धियों को बताते नहीं थकती है, लेकिन वो भी अपने बेटे के सपने को टूटते हुए देखने को विवश है, क्योंकि वो उसके खेल की सामग्री को खरीद पाने में सक्षम नहीं है. अब वो सरकार से आस लगाये बैठी है.