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मोतिहारी: सरिसवा नदी की धारा को सीमा बता रहा नेपाल, अब भारत की जमीन पर कर रहा है कब्जा

नेपाल ने सरिसवा नदी के कटाव से नदी के दूसरे तरफ के भारतीय भू-भाग पर जबरन कब्जा कर लिया है. साथ ही स्थानीय किसानों के वहां अपनी जमीन पर जाने से रोका जाता है. लेकिन भारतीय अधिकारी इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी साधे हुए हैं.

sariswa river
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Published : Jun 27, 2020, 6:14 AM IST

मोतिहारी:नेपाल से निकलकर भारत में प्रवेश करने वाली सरिसवा नदी का कटाव एक बार फिर से शुरु हुआ है. भारत-नेपाल सीमा को दर्शाने के लिए लगे पिलर के अंदर भारतीय क्षेत्र में नेपाल ने कई एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया है और उस पर नेपाल ने अस्थायी टेंट लगाकर सशस्त्र सीमा प्रहरी का पोस्ट बना लिया है.

सरिसवा नदी हर वर्ष भारतीय भू-भाग को काटती है और अपने धारा की दिशा बदलती रहती है. लिहाजा, नेपाल हर साल भारत के कुछ नए भू-भाग पर कब्जा करके बैठ जाता है. अब नेपाल यह साजिश भारत नेपाल-सीमा पर स्थित पूर्वी चंपारण जिला के रक्सौल अनुमंडल के पनटोका गांव में रच रहा है.

सरिसवा नदी

भारतीय भू-भाग पर नेपाल ने किया कब्जा
दरअसल, वर्षों पूर्व सरिसवा नदी भारत नेपाल सीमा को दर्शाने वाले पिलर संख्या 393 से काफी दूर बहती थी. लेकिन नदी भारतीय भू-भाग का कटाव करते-करते पिलर संख्या 393 तक पहुंच गई है. पहाड़ी नदी होने के कारण सरिसवा नदी का कटाव काफी तेज होता है और नेपाल इसका गलत फायदा उठाता है.

देखें रिपोर्ट

नेपाल ने सरिसवा नदी के कटाव से नदी के दूसरे तरफ के भारतीय भू-भाग पर जबरन कब्जा कर लिया है. साथ ही स्थानीय किसानों को वहां अपने जमीन पर जाने से रोका जाता है. लेकिन भारतीय अधिकारी इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी साधे हुए हैं.

भारत -नेपाल सीमा

स्थानीय लोग परेशान
इस साल फिर सरिसवा नदी का कटाव जारी है. पनटोका के पास मुख्य सड़क के किनारे बने एसएसबी के आउटपोस्ट तक नदी पहुंच गई है. स्थानीय लोगों को चिंता सता रही है कि सरिसवा नदी में जिस तरह पानी बढ़ रहा है. उस हिसाब से नदी एसएसबी के आउटपोस्ट को खतरा पहुंचायेगी और सड़क काटकर भारतीय परिक्षेत्र में और अंदर तक आ जाएगी. इसके बाद नेपाली सशस्त्र सीमा प्रहरी एक बार फिर भारतीय परिक्षेत्र के कई एकड़ नई जमीन पर कब्जा कर लेगी. ऐसे में जरुरत है कि सीमा पर तैनात एसएसबी और जिला प्रशासन खुद पहल करके नेपाल की ओर से अवैध रुप से कब्जा किए गए जमीन को मुक्त कराए. ताकि भारतीय परिक्षेत्र के किसान अपनी जमीन पर बेरोक-टोक खेती कर सके.

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