दरभंगा: जिले के महाराजाधिराज लक्ष्मेश्वर सिंह संग्रहालय में 'दरभंगा के स्वतंत्रता सेनानी' विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. यह आयोजन इंटेक दरभंगा चैप्टर, मैथिली साहित्य परिषद और संग्रहालय तीनों की ओर से किया गया. इसका कार्यक्रम का उद्देश्य दरभंगा और मिथिलांचल के सभी जिलों के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की खोज कर उनका दस्तावेजीकरण करना है. साथ ही उनके योगदान को इतिहास में दर्ज कराना है.
'दरभंगा के स्वतंत्रता सेनानी' पर सेमिनार का आयोजन, गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को मिलेगी पहचान - मिथिलांचल
संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. शिव कुमार मिश्र ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में दरभंगा और मिथिलांचल के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम बहुत कम मिलते हैं. इसकी वजह यह है कि यहां के इतिहास कारों और लेखकों ने उनके योगदान को दर्ज नहीं किया.
इतिहास में नाम किया जाएगा दर्ज
संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. शिव कुमार मिश्र ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में दरभंगा और मिथिलांचल के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम बहुत कम मिलते हैं. इसकी वजह यह है कि यहां के इतिहास कारों और लेखकों ने उनके योगदान को दर्ज नहीं किया. उन्होंने कहा कि इस सेमिनार के माध्यम से इस इलाके के गुमनाम सेनानियों को ढूंढ कर निकाला जाएगा. उनका दस्तावेजीकरण होगा और इतिहास में उनके योगदान को दर्ज किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दरभंगा के बाद मधुबनी, सहरसा और समस्तीपुर होते हुए मिथिलांचल के सभी जिलों में यह कार्यक्रम चलाया जाएगा.
इन लोगों ने रखे अपने विचार
भारत की आजादी की लड़ाई में मिथिलांचल के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को उजागर करने की पहल शुरू हो गयी है. वहीं, इस कार्यक्रम में बिहार के प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो.रत्नेश्वर मिश्र, बिहार विधान परिषद लाइब्रेरी, पटना के लाइब्रेरियन भैरव लाल दास, डॉ. भीमनाथ झा, इतिहासकार प्रो. धर्मेंद्र कुंवर, प्रो. मुश्ताक अहमद, डॉ. एजाज़ अहमद, प्रो. जीतेंद्र नारायण, डॉ. मंज़र सुलेमान, चंद्र प्रकाश और सुशांत भास्कर समेत कई गणमान्य लोगों ने अपने विचार रखे.