दरभंगा:जिले में विद्यापति सेवा संस्थान की ओर से 47वें विद्यापति पर्व समारोह का आयोजन किया गया. इस मौके पर भाजपा सांसद गोपालजी ठाकुर, मधुबनी से भाजपा सांसद अशोक कुमार यादव और विधायक संजय सरावगी समेत कई लोग उपस्थित थे. इस मंच पर दोनों सांसदों को मिथिला विभूति सम्मान प्रदान किया गया.
समारोह के दौरान भाजपा और एनडीए के एजेंडे से अलग हटकर दोनों सांसद और विधायक ने बिहार से अलग कर नये मिथिला राज्य बनाने की मांग उठाई. उन्होंने इसके लिए जन आंदोलन का आह्वान किया और आंदोलन में अपनी भागीदारी का भी आश्वासन दिया.
सांसदों को मिथिला विभूति सम्मान प्रदान किया गया मिथिला राज्य के लिए आंदोलन का आह्वान
मौके पर भाजपा विधायक संजय सरावगी ने कहा कि मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग लंबे समय से उठ रही थी. यह मांग एक झटके में 2003 में पूरी हो गयी. विधायक ने कहा कि भाजपा विकास के लिए छोटे राज्यों के गठन का समर्थन करती है. मिथिलांचल के लोगों को बिहार से अलग मिथिला राज्य के लिए आंदोलन करना पड़ेगा. वे इस आंदोलन में साथ आएंगे. उन्होंने कहा कि एक दिन मिथिला राज्य जरूर बनेगा.
मिथिला राज्य बनाने की मांग
वहीं, मधुबनी से भाजपा सांसद अशोक कुमार यादव ने कहा कि बिहार से अलग मिथिला राज्य पार्टी के एजेंडे में शामिल नहीं है लेकिन वे खुद इस आंदोलन के साथ हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए जन आंदोलन होना चाहिए और उसमें समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना चाहिए. अलग मिथिला राज्य बनाने की मांग जरूर पूरी होगी.
बयान देते सांसद और विधायक सांसद गोपालजी ठाकुर ने किया समर्थन
सांसद गोपालजी ठाकुर ने कहा कि वर्ष 2003 में मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था. उस समय वे भाजपा के जिलाध्यक्ष थे. उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर एजेंडे के रूप में अलग मिथिला राज्य की घोषणा की थी. उन्होंने कहा कि भले ही अलग मिथिला राज्य भाजपा के एजेंडे में न हो लेकिन वे इसका समर्थन करते हैं. मिथिला के विकास के लिए उनका तन-मन और जीवन समर्पित है.
1922 से की जा रही मांग
बता दें कि उत्तर बिहार के दरभंगा, कोसी, पूर्णिया और भागलपुर प्रमंडलों के सभी जिलों के अलावा तिरहुत और मुंगेर के कुछ जिलों को शामिल करते हुए बिहार से अलग मिथिला राज्य की मांग 97 साल पुरानी है. इसके लिए कई संस्थाएं आंदोलन चलाती हैं. हालांकि अभीतक यह जन आंदोलन का रूप नहीं ले सका है. संविधान सभा के सदस्य महाराजा कामेश्वर सिंह और जयपाल सिंह मुंडा ने 1946 में बिहार को तीन भागों में बांटते हुए अलग मिथिला, झारखंड और मगध राज्य का प्रस्ताव रखा था लेकिन संविधान सभा ने इसे नामंज़ूर कर दिया था. वर्ष 2000 में जहां झारखंड राज्य का गठन हो गया वहीं 1922 से ही मांगे जा रहा मिथिला राज्य अब तक नहीं बन पाया है.