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दरभंगा: कमला बलान नदी ने मचाई तबाही, कटाव से कई घर पानी में विलीन - Kamala Balan River

बाढ़ के पानी में लोगों की फसलें डूब गई और रास्ते कट गए हैं. जिसकी वजह से हाट-बाजार करने और बीमार पड़ने पर दवा लाने में भी लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे दुखद बात ये है कि अभी तक बाढ़ प्रभावित इलाकों में सरकारी नावों का परिचालन भी शुरू नहीं हुआ है.

दरभंगा
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Published : Jul 1, 2020, 11:01 PM IST

दरभंगा:अधवारा समूह की नदियों ने दरभंगा में बाढ़ और कटाव द्वारा तबाही मचानी शुरू कर दी है. आलम ये है कि कुशेश्वर स्थान पूर्वी प्रखंड की इटहर पंचायत के चौकिया और लक्ष्मीनियां गांव के कम से कम 10 लोगों के घर कमला बलान नदी की कटाव के भेंट चढ़ चुके हैं. इसकी वजह से लोग घर-बार छोड़कर माल-मवेशी के साथ बांधों पर शरण ले रहे हैं. वहीं, भयावह दृश्य से लोग काफी दहशत में भी है.

बाढ़ की तैयारी में ग्रामीण

बाढ़ के पानी में लोगों की फसलें डूब गई और रास्ते कट गए हैं. जिसकी वजह से हाट-बाजार करने और बीमार पड़ने पर दवा लाने में भी लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे दुखद बात ये है कि अभी तक बाढ़ प्रभावित इलाकों में सरकारी नावों का परिचालन भी शुरू नहीं हुआ है. जिसकी वजह से लोग मनमाना किराया देकर छोटी नावों पर लद कर खतरे में आवागमन को मजबूर हैं.

'अपने स्तर से कर रहे नाव बनाने का काम'
स्थानीय श्रवण कुमार राय ने बताया कि दो दिन पहले अचानक गांव में पानी घुसा और देखते ही देखते चचरी पुल बह गया. फसलें डूब गईं. अब चारों तरफ केवल पानी ही पानी दिख रहा है. सब कुछ बाढ़ में बहकर तबाह हो गया है. हमारे सामने जिंदगी बचाने का सवाल खड़ा है. श्रवण ने बताया कि अपने स्तर से हम लोग नाव बनाने का काम कर रहे हैं.

कटाव की स्थिति

'सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं'
रंजू देवी ने कहा कि हर साल बाढ़ में उनके घर तबाह हो जाते हैं. नदी घर काट कर बहा ले जाती है. इस बार भी उनका घर कटाव में चला गया है. माल-मवेशी को लादकर बांध पर शरण लेने जाना पड़ता है. सरकार की ओर से कोई नाव नहीं चल रही है. रंजू ने कहा कि मनमाना किराया देकर आवागमन हो रहा है. सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट


'तटबंधों के बचाव में जुटा प्रशासन'
वहीं, दरभंगा डीएम डॉ. त्यागराजन ने बताया कि बाढ़ पूर्व तैयारियां तकरीबन पूरी हो चुकी है. तटबंधों की मरम्मत का काम अंतिम चरण में है. जहां-जहां कमजोर प्वाइंट हैं, वहां इंजीनियरों को खास तौर पर लगाकर काम कराया जा रहा है. वे लगातार तटबंधों का निरीक्षण कर रहे हैं. बाढ़ में तटबंधों का बचाव हो सके और पानी से लोगों को नुकसान न हो इसकी कोशिश की जा रही है.

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