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दरभंगाः कोरोना से मृत महिला का शव लेने नहीं आए परिजन, अंजुमन कारवां-ए-मिल्लत ने किया सुपुर्द-ए-खाक - सुपुर्द-ए-ख़ाक

कोरोना महामारी के कारण इंसान तो मर ही रहे हैं लेकिन साथ ही इंसानियत भी मर रही है. लोग अपने परिजनों के शवों को लेने तक से परहेज कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला दरभंगा के डीएमसीएच में सामने आया है.

Darbhanga
अंजुमन कारवां-ए-मिल्लत के सदस्य

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Published : May 4, 2021, 7:30 AM IST

दरभंगाःकोरोना महामारी सिर्फ इंसानी जान ही नहीं ले रहा है बल्की इंसानियतऔर मानवीय रिश्ते भी तार-तार हो रहे हैं. जिस व्यक्ति ने अपनी जिंदगी में हर कष्ट को सहकर परिवार के लोगों की भलाई के लिए काम किया. कोरोना से जब उसकी मौत हुई तो शव लेने भी परिजन नहीं आए. दरभंगा के डीएमसीएच में ऐसा दृश्य आपको रोज देखने को मिल जाएगा.

रविवार की शाम भी यहां ऐसा ही दृश्य देखने को मिला. एक महिला की मौत कोरोना से हो गई. लेकिन उसके परिजन शव लेने नहीं आए. महिला का अंतिम संस्कार अंजुमन कारवां-ए-मिल्लत के लोगों ने स्थानीय कब्रिस्तान में किया.

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अंजुमन कारवां-ए-मिल्लत ने किया सुपुर्द-ए-खाक
अंजुमन कारवां-ए-मिल्लत के अध्यक्ष रियाज खान कादरी ने कहा कि दरभंगा में हर दिन हर धर्म के लोगों की कोरोना से मौत हो रही है. इनमें से कई लोगों के परिजन शव छोड़कर भाग खड़े हो रहे हैं. डीएमसीएचमें तीन-तीन, चार-चार दिनों तक शव पड़े रह रहे हैं.

ऐसी ही एक महिला की मृत्यु कोरोना से हो गई, जिसका शव लेने उसके परिजन नहीं आए. उन्होंने कहा कि अंजुमन कारवां-ए-मिल्लत के सदस्यों ने इस महिला को स्थानीय कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया.

देखें रिपोर्ट

जिसने हर कष्ट सहा, उसे सम्मान से विदा करें
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इंसान तो कोरोना से मरते हैं लेकिन इंसानियत को मरने न दें. रियाज खान ने कहा कि बीमारी से नफरत करें बीमार से नहीं. जिन लोगों ने जिंदा रहते अपने परिवार के लिए हर कष्ट सहा. उनके मरने के बाद उनसे बेरुखी न दिखाएं. मृतकों को सम्मान के साथ विदा करें और उनका अंतिम संस्कार करें.

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