दरभंगाः 'जगदंब अहीं अवलंब हमर' के भगवती गीत सहित मैथिली भाषा के अनेकों गीत के रचयिता प्रभुनारायण झा 'मैथिली पुत्र प्रदीप' के निधन से मिथिला में शोक की लहर है. मैथिली पुत्र प्रदीप का निधन 84 वर्ष की उम्र में लहेरियासराय स्थित बंगाली टोला निवास पर हो गया. ये खबर सुनते ही उनके घर लोगों के आने का सिलसिला जारी है.
मैथिली पुत्र प्रदीप के निधन से मिथिला में शोक की लहर - लहेरियासराय
'जगदम्ब अहीं अवलम्ब हमर हे माय अहां बिनु आस ककर' सहित मिथिला के गोसाउन घर में मैथिली पुत्र के रचित भगवती गीत गाए जाते हैं. इनकी मृत्यु मैथिली के लिए अपूरणीय क्षति है.
गोसाउन घर में गाए जाते हैं इनके गीत
लोगों का कहना है कि मैथिली पुत्र न सिर्फ मैथिली गीत के रचयिता थे, बल्कि वो मिथिला की धरोहर थे. मैथिली पुत्र कवि प्रदीप के निधन से हमने एक युग खो दिया है. इनका 'जगदम्ब अहीं अवलम्ब हमर हे माय अहां बिनु आस ककर' सहित मिथिला के गोसाउन घर में इनके रचित भगवती गीत गाए जाते हैं. इनकी मृत्यु मैथिली के लिए अपूरणीय क्षति है.
पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार
विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि उनके असामयिक निधन से मैथिली जगत को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि शोक की इस घड़ी में संपूर्ण विद्यापति सेवा संस्थान परिवार उनके परिजनों के साथ है. वहीं उन्होंने कहा कि इनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव तारडीह प्रखंड के कैथवार गांव में होगा.