दरभंगा:रामनवमी के दिन देवघर रोपवे पर हुए हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. त्रिकूट रोपवे (Trikut Ropeway Accident) पर चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अब पूरा हो चुका है. तीन दिनों से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया है. अब रोपवे पर कोई नहीं फंसा हुआ है. आज 14 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जबकि बचाव अभियान के दौरान गिरने से एक महिला की मौत हो गई. सोमवार को 32 लोगों को सुरक्षित निकाला गया था. इस हादसे के दौरान दरभंगा के लहेरियासराय के रमण कुमार श्रीवास्तव और उनका परिवार भी वहीं मौजूद था. रमण कुमार उस दिन की घटना को याद कर कहते हैं कि हमें तो लगा था कि अब वापस घर नहीं जा पाएंगे. मौत के मुंह से वापस आने पर भी हमें यकीन नहीं हो रहा है.
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दहशत की कहानी:रमण कुमार श्रीवास्तव ने जो आपबीती सुनायी, वो सुनकर किसी का भी कलेजा कांप जाएगा. दरभंगा समाहरणालय में कार्यरत रमण कुमार श्रीवास्तव अपने बेटी-बेटे और पत्नी के साथ रामनवमी में बाबा भोलेनाथ का दर्शन करने देवघर गए थे. उसी दिन देवघर रोपवे घूमने त्रिकूट पर्वत गए थे. उसी दौरान हवा में सभी रोपवे के बीचों बीच फंस गए. रमण और उनका परिवार अब भी दहशत में है.
परिवार ने छोड़ दी थी आस:रमण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पूरा परिवार त्रिकूट पर्वत पर रोपवे की सवारी करने गया था. लेकिन दुर्भाग्य ऐसा था कि यह बड़ा हादसा हो गया. उन्होंने बताया कि अचानक से उनकी ट्रॉली 20-25 झटके खाकर जब रुक गई तो उन सब के शरीर सुन्न पड़ गए. वे सभी बेहोशी की हालत में थे. उन्हें पता ही नहीं चला कि जिंदा है कि मर गए.
"जब होश आया तो हम लोगों ने चिल्लाकर आसपास के लोगों को सूचना दी. उसके बाद आस-पास के लोगों की मदद से रोपवे के कर्मचारियों ने हमें ट्रॉली पर से उतारा. सभी को काफी चोटें आई थीं. इसके बाद देवघर सदर अस्पताल हमें ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने चेक-अप किया और एक्स-रे कराने को कहा. रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टरों ने घर जाने की अनुमति दे दी. इस हादसे के बाद मुझे और मेरे पूरे परिवार को नई जिंदगी मिली है."- रमण कुमार श्रीवास्तव, प्रत्यक्षदर्शी