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देवघर रोपवे हादसा: जब ट्रॉली को लगे 25 झटके.. तब सहम उठा दरभंगा का यह परिवार

मौत के मुंह से वापस आए हैं, नया जन्म हुआ है. जब हमारी ट्रॉली को 25 झटके लगे.. तो हमारा पूरा परिवार निराश हो गया. हम सबने मान लिया कि अब हमारी जिंदगी का अंत आ चुका है. देवघर रोपवे हादसे (Deoghar Ropeway Accident) से सुरक्षित वापस लौटे दरभंगा के रमण कुमार श्रीवास्तव की आपबीती सुन कोई भी सिहर उठेगा.

Deoghar Ropeway Accident
Deoghar Ropeway Accident

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Published : Apr 12, 2022, 4:09 PM IST

दरभंगा:रामनवमी के दिन देवघर रोपवे पर हुए हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. त्रिकूट रोपवे (Trikut Ropeway Accident) पर चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अब पूरा हो चुका है. तीन दिनों से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया है. अब रोपवे पर कोई नहीं फंसा हुआ है. आज 14 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जबकि बचाव अभियान के दौरान गिरने से एक महिला की मौत हो गई. सोमवार को 32 लोगों को सुरक्षित निकाला गया था. इस हादसे के दौरान दरभंगा के लहेरियासराय के रमण कुमार श्रीवास्तव और उनका परिवार भी वहीं मौजूद था. रमण कुमार उस दिन की घटना को याद कर कहते हैं कि हमें तो लगा था कि अब वापस घर नहीं जा पाएंगे. मौत के मुंह से वापस आने पर भी हमें यकीन नहीं हो रहा है.

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दहशत की कहानी:रमण कुमार श्रीवास्तव ने जो आपबीती सुनायी, वो सुनकर किसी का भी कलेजा कांप जाएगा. दरभंगा समाहरणालय में कार्यरत रमण कुमार श्रीवास्तव अपने बेटी-बेटे और पत्नी के साथ रामनवमी में बाबा भोलेनाथ का दर्शन करने देवघर गए थे. उसी दिन देवघर रोपवे घूमने त्रिकूट पर्वत गए थे. उसी दौरान हवा में सभी रोपवे के बीचों बीच फंस गए. रमण और उनका परिवार अब भी दहशत में है.

परिवार ने छोड़ दी थी आस:रमण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पूरा परिवार त्रिकूट पर्वत पर रोपवे की सवारी करने गया था. लेकिन दुर्भाग्य ऐसा था कि यह बड़ा हादसा हो गया. उन्होंने बताया कि अचानक से उनकी ट्रॉली 20-25 झटके खाकर जब रुक गई तो उन सब के शरीर सुन्न पड़ गए. वे सभी बेहोशी की हालत में थे. उन्हें पता ही नहीं चला कि जिंदा है कि मर गए.

"जब होश आया तो हम लोगों ने चिल्लाकर आसपास के लोगों को सूचना दी. उसके बाद आस-पास के लोगों की मदद से रोपवे के कर्मचारियों ने हमें ट्रॉली पर से उतारा. सभी को काफी चोटें आई थीं. इसके बाद देवघर सदर अस्पताल हमें ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने चेक-अप किया और एक्स-रे कराने को कहा. रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टरों ने घर जाने की अनुमति दे दी. इस हादसे के बाद मुझे और मेरे पूरे परिवार को नई जिंदगी मिली है."- रमण कुमार श्रीवास्तव, प्रत्यक्षदर्शी

मंगलवार को 6 घंटे चला ऑपरेशन:मंगलवार सुबह को सेना का ऑपरेशन शुरू हुआ जो दोपहर एक बजे तक चला. इस दौरान सेना के जवानों ने मुश्किल परिस्थितियों में 13 लोगों की जान बचायी जबकि एक महिला की मौत हो गई. रेस्क्यू ऑपरेशन जब फाइनल स्टेज पर था उसी वक्त एक दुखद घटना घटी, देवघर की रहने वाली एक साठ साल की महिला को एयरलिफ्ट किया जा रहा था. उसी वक्त रोपवे में रस्सी फंस गई, जिसकी वजह से चौपर खतरे में आ गया. पायलट ने जर्क देकर रस्सी को सीधा करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया और इसी दौरान रस्सी टूट गई और महिला खाई में जा गिरी. आपको बता दें कि उस महिला की बेटी और दामाद दो दिन से यहीं पर जमे हुए थे. हादसे के बाद अर्चना नाम की महिला की बेटी रोते हुए यहां की व्यवस्था को कोसती रही.


सोमवार को 11 घंटे चला ऑपरेशन: सोमवार को सुबह से एनडीआरएफ की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गई. सेना के जवानों के पहुंचने से पहले एनडीआरएफ की टीम ने फंसे हुए 11 लोगों को सफलतापूर्वक निकाला. उसके बाद शाम तक चले ऑपरेशन में सेना के जवानों ने 21 लोगों को रोपवे से निकाला. वहीं इस दौरान ट्रॉली से जब व्यक्ति को निकालकर सेना के हेलीकॉफ्टर पर लाया जा रहा था उस वक्त उसका सेफ्टी बेल्ट खुल गया और वह नीचे गिर गया. जिसके बाद उसकी मौत हो गई.


हादसा कब और कैसे हुआ: 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन बड़ी संख्या में लोग रोपवे के सहारे त्रिकूट पर्वत का भ्रमण करने पहुंचे थे. इसी बीच शाम के वक्त त्रिकूट पर्वत के टॉप प्लेटफार्म पर रोपवे का एक्सेल टूट गया. इसकी वजह से रोपवे ढीला पड़ गया और सभी 24 ट्रॉली का मूवमेंट रूक गया. रोपवे के ढीला पड़ने की वजह से दो ट्रॉलियां या तो आपस में या चट्टान से टकरा गईं. रोपवे का मेंटिनेंस करने वाले पन्ना लाल ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से 15 लोगों को बचाया, जबकि एक व्यक्ति की उनके सामने ही मौत हो गई.



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