पटना: चुनाव में हर प्रकार के वोटर्स महत्वपूर्ण होते हैं. वोटिंग पैटर्न पर नजर डालें तो हर बार चुनाव में बड़ा फर्क पड़ता है युवा वोटरों की सोच का. युवा वोटर्स जिस ओर रुख करते हैं उसका बेड़ा पार हो जाता है. इन युवा वोटरों को पूर्व मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा ने पहली बार आवाज दी थी.
मनहर सती प्रसाद, वरीय अधिकारी, पर्यटन निगम
पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार
आजादी के बाद लंबे समय तक बिहार समेत कई राज्यों में कांग्रेस की सरकार रही. एक बड़ा बदलाव तब आया, जब एक साथ करीब 7 राज्यों में संबित सरकार का गठन हुआ. संबित यानी गठबंधन सरकार और इस संबित सरकार के पीछे जिस व्यक्ति का दिमाग था, वह थे महामाया प्रसाद सिन्हा.
1967 में सीएम बने महामाया प्रसाद
कांग्रेस की नीतियों से अलग होकर 60 के दशक में महामाया प्रसाद ने अलग पार्टी बनाई. उसके बाद कांग्रेस की विचारधारा से अलग विभिन्न दलों को एक साथ मंच पर लाए और एक साथ चुनाव लड़ा. जिसका परिणाम यह हुआ कि बिहार समेत 7 राज्यों में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा और इन सभी जगहों पर गठबंधन सरकारों का गठन हुआ. बिहार में ऐसे ही गठबंधन सरकार के मुखिया बने महामाया प्रसाद सिन्हा, जो 1967 में करीब एक साल तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे.
पहली बार युवा शक्ति को पहचाना
महामाया प्रसाद सिंहा के करीबी संबंधी और बिहार राज्य पर्यटन निगम के अधिकारी मनहर सती प्रसाद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि महामाया प्रसाद सिन्हा एक ऐसे शख्स थे, जिन्होंने युवा शक्ति को पहचाना. युवाओं को भरपूर साथ दिया. युवाओं की हर परेशानी में उनके साथ खड़े रहे.
छात्रों को 'जिगर का टुकड़ा' समझा
महामाया प्रसाद सिन्हा ने पहली बार 'जिगर के टुकड़े' शब्द का प्रयोग छात्रों के लिए किया, जो तब काफी चर्चित हुआ था. मनहर सती प्रसाद ने बताया कि छात्रों को वह जिगर के टुकड़े कह कर बुलाते थे। उनका अंदाज छात्रों को इतना भाया कि वह उनके ही हो कर रह गए. उनके ये जिगर के टुकड़े आज भी कमाल कर रहे हैं. युवाओं के वोट का हर राजनीतिक दल फायदा लेना चाहता है, लेकिन सबसे पहले इन युवा वोटर्स और युवा शक्ति की पहचान की थी महामाया प्रसाद सिन्हा ने.
बेहद लोकप्रिय थे महामाया प्रसाद
महामाया प्रसाद सिन्हा मार्च 1967 से जनवरी 1968 तक बिहार के पांचवें मुख्यमंत्री रहे. उनके नेतृत्व वाली वह बिहार में पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी. सिन्हा महाराजा कामाख्या नारायण सिंह और महाराज कुमार बसंत नारायण सिंह के अनुयायी थे और उनके राजनीतिक जन क्रांति दल के सदस्य थे. उनका जन्म 1 मई 1909 को हुआ था. उनका निधन साल 1987 में हुआ.