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विश्व हिंदी दिवसः भाषा को लेकर अधिकारी, नेता और छात्रों ने रखी अपनी राय

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Published : Jan 10, 2021, 9:34 PM IST

कांग्रेस विधायक संजय कुमार तिवारी ने कहा कि हिंदी उत्तर और दक्षिण के जाल में उलझ कर रह गई है. बक्सर सदर विधायक ने मांग करते हुए कहा कि सरकार हिंदी के सम्मान के लिए ठोस कदम उठाए.

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बक्सरः रविवार को विश्व हिन्दी दिवस मनाया गया. यह प्रति वर्ष 10 जनवरी को पूरे विश्व में मनाया जाता है. इसका मूल उद्देश्य विश्व के प्रत्येक भागों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है.

दुनिया के अन्य देशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं. सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं. विश्व में हिन्दी को प्रतिष्ठा दिलाने व विकास करने तथा इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई. प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था.

हिंदी में कामकाज को दें बढ़ावा- एसडीएम
इस बाबत जब अनुमंडल पदाधिकारी बक्सर कृष्ण कुमार उपाध्याय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हिंदी को हर स्तर पर अपनाना होगा. सरकारी हो या निजी हर क्षेत्र में हिंदी में कामकाज को बढ़ावा देना होगा. वहीं, बक्सर के सुप्रसिद्ध विश्वामित्र महाविद्यालय से रिसर्च कर रहे गुरु शरण चौरसिया का कहना था कि हिंदी के साथ शुरू से भेदभाव किया गया है. हिंदी अभी तक रोजगार परक भाषा नहीं बन पाई है. जब तक इसे रोजगार के साथ नहीं जोड़ा जाएगा तबतक हिंदी को राष्ट्रीय स्तर की दर्जा नहीं मिल पाएगी.

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सरकार उठाए ठोस कमद- कांग्रेस विधायक
बक्सर सदर क्षेत्र से कांग्रेस विधायक संजय कुमार तिवारी ने कहा कि हिंदी उत्तर और दक्षिण के जाल में उलझ कर रह गई है. कांग्रेस विधायक ने मांग करते हुए कहा कि सरकार हिंदी के सम्मान के लिए ठोस कदम उठाए.

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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाये जाने की घोषणा की थी. उसके बाद से भारतीय विदेश मंत्रालय ने पहली 10 जनवरी 2006 विश्व हिन्दी दिवस मनाया था.

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