बक्सर: बिहार के बक्सर में आज से विश्व प्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा यात्रा (World Famous Panchkoshi Parikrama Yatra in buxar) की शुरुआत हो गई है. इस परिक्रमा यात्रा में हजारों श्रद्धालु उत्तरायणी गंगा में स्नान कर गौतम ऋषि के आश्रम अहिरौली (Ashram of Gautam Rishi Ahirauli) पहुंंच रहे हैं. गौरतलब है कि उत्तरायणी गंगा के तट पर बसा बक्सर प्राचीन काल से ही एक धार्मिक और अध्यात्मिक नगरी के रूप में जाना जाता है. ऐसे में यहां लगने वाला सुप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेला भी सबके आकर्षण का मुख्य केंद्र है. पांच दिनों तक चलने वाला यह परिक्रमा मेला अहिरौली से शुरू होकर चरित्रवन में समाप्त होता है. यह परंपरा त्रेतायुग से ही चली आ रही है.
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त्रेतायुग से चली आ रही परंपरा:मान्यता है कि जब भगवान श्री राम, महर्षि विश्वामित्र के साथ ताड़िका वध के लिए बक्सर आये थे. उसी समय ताड़का, सुबाहु और मारीच आदि राक्षसों का वध करने के बाद, नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने पांच कोस की परिक्रमा की थी. जिसे पंचकोशी परिक्रमा यात्रा के नाम से जाना जाता है. तब से लेकर अब तक यह परंपरा चली आ रही है. प्रत्येक साल अगहन मास में लाखों श्रद्धालु इस परिक्रमा यात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से बक्सर आते हैं.
राम से जुड़े इन स्थलों का नही हुआ विकास:एक तरफ जहां भगवान राम के जन्म स्थली में हजारो करोड़ रुपये खर्च कर भव्य मंदिर का निर्माण करवाया जा रहा है. वहीं राम की शिक्षा स्थली बक्सर में राम से जुड़े तमाम धार्मिक स्थल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं. आलम यह है कि अहिल्या की उद्धार स्थली अहिरौली में ही करोड़ो खर्च कर सनातन संस्कृति समागम (Sanatan Sanskriti Samagam) कराया जा रहा है. जहां से महज 300 मीटर की दूरी पर लाखों श्रद्धालु अहिल्या मंदिर में पूजा अर्चना करने आएंगे लेकिन उनके लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है.