बक्सर:बिहार के बक्सर मेंधान की फसल में अज्ञात बीमारी (Unknown disease in paddy crop in Buxar) से पूरे जिले के किसान परेशान हैं. कुछ ही दिनों पहले धान की फसल में अज्ञात बीमारी की वजह से धान की बाली सुखने लगी है. इस मामले में डीएम के निर्देश के बाद भी पंद्रह दिनों के बाद किसानों की मदद को कोई अधिकारी नहीं आया है. इसीलिए जिल के किसानों में नाराजगी भी देखी जा रही है.
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धान की फसल में रोग से किसान परेशान: जिले में प्रकृति के मार से बेहाल अन्नदाता कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ से परेशान थे लेकिन अब अज्ञात बीमारियों की दस्तक से परेशान हो गये हैं. इस मामले पर सरकार से लेकर सरकारी कर्मी तक सारे लोग बस एसी कमरे में बैठकर ही किसानों के खेतों की मेड़ तक की सारी सुविधा मुहैया कराने में जुटे हैं. जिले के जिस कृषि वैज्ञानिक को किसानों की समस्याओं को सुनने और सहायता करने के लिए जिला कृषि विज्ञान केंद्र में रखा गया है. उनके पास एक सरकारी वाहन तक नहीं है. जिससे कि किसानों की समस्याओं को सुनने के लिए वह खेतों तक जा सके. हालांकि सरकार किसानों की आमदनी दुगनी करने की दावा करती है.
खेती में दिलचस्पी दिखाने वाले युवा किसान मायूस:कोरोना काल की वजह से रोजी रोजगार बंद होने के बाद घर वापस आने वाले अधिकांश युवा आत्मनिर्भरता के लिए खेती में दिलचस्पी दिखाना शुरू किये लेकिन धीरे धीरे सिस्टम की मार से परेशान होकर वह फिर से खेती बाड़ी छोड़कर निजी कंपनियो में काम करने के लिए पलायन करने लगे. उन युवा किसानों की मानें तो 30 प्रतिशत सम्भ्रांत किसानों के लिए ही पूरा सिष्टम काम करता है. कृषि विभाग के बड़े अधिकारी से लेकर मंत्री तक उन्हीं किसानों के दरवाजे पर दस्तक देते है. जो छोटे किसानों को कृषि कार्यालय में प्रवेश करने से पहले ही दरवाजे पर खड़ा गार्ड भी भगा देता है. ऐसे में हमारे हालात कैसे बदलेंगे. आजादी के 75 साल बाद भी हम राजनेताओं और अधिकारियों के मेहरबानी के मोहताज बने है.
फसल के साथ सूखने लगी किसानों की उम्मीद:किसानों की समस्याओं को सुनने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम खेतों में काम कर रहे किसानों से बात की, तब किसानों ने बताया कि 25 मई से रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत हुई थी , इसी नक्षत्र में अधिकांस किसानों ने धान की बिचड़ा खेतो में लगाया था। लेकिन मई, जून,जुलाई,महीने में बारिश ही नही हुई , भयंकर सुखाड़ के कारण ट्यूबेल भी फेल कर गया नहरों में पानी ही नही आई.
"25 मई से रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत हुई. इसी नक्षत्र में अधिकांश किसानों ने धान की बिचड़ा खेतों में लगाया था. लेकिन मई, जून, जुलाई, महीने में बारिश ही नही हुई. जिससे भयंकर सुखाड़ के कारण ट्यूबेल भी फेल कर गया. नहरों में पानी ही नही आईं, इस तरह की परिस्थिति के बाद भी कई किसानों ने खेतों में इस उम्मीद से फसल लगाया कि बारिश होगी लेकिन बारिश नहीं हुई. अगस्त महीने में बारिश हुई और नहरों में पानी आई फिर सितंबर महीने में बारिश से फसलों की स्थिति सुधरने लगी. लेकिन अब खेतों में लगाये हुए धान के फसल की बाली निकलने लगी और सुखने लगी है. जब हमलोग कृषि कार्यालय में फोन करते हैं, तब वहां पर कोई फोन तक नही उठाता है'.- भोलू केशरी, युवा किसान