बक्सर : बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की हर कोशिश नाकाम होते दिख रही है. कोरोना संक्रमण काल वैसे ही बरकरार है, बर्शते लोगों को बड़े पैमाने पर छूट दी गई है. लेकिन पेट की भूख मिटाने के लिए अपने घरों से बाहर निकलने वाले लोगों की हालत खराब दिखाई दे रही है.
ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो पर जाकर लोगों की राय जानी. जरूरतमंदों को प्रशासन भी नही कर पा रहा है. बक्सर जिले में कोरोना का प्रभाव धीरे-धीरे कम होता दिखाई दे रहा है. लिहाजा, जिला प्रशासन ने छूट दी है. रोजी रोजगार की तलाश में लोग सड़कों पर तो निकले हैं. लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में वो तंग हालातों से जूझते नजर आ रहे हैं.
लॉकडाउन में भी नहीं मिला मदद
जिले में सैकड़ों ऐसे परिवार हैं, जिसके पास प्रशासन की कोई मदद नहीं पहुच सकी है. राशन कार्ड बनाने में जुटी जीविका दीदियों की मनमानी, इस कदर चल रही है कि जरूतमंदों को छोड़कर परिवार, रिश्तेदार, सगे संबंधियों के साथ-साथ जान पहचान वालों के कार्ड बनवा दिये गये हैं. इस लिस्ट में कस्बे के अरबपति व्यवसायी के साथ-साथ कई जमींदार और पूंजीपति भी आते हैं. लॉकडाउन के दौरान इनका, तो राशन कार्ड बन गया लेकिन गरीब तबके के लोग आज भी दर-दर की ठोंकरें खाने को मजबूर हैं.