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बक्सर: लॉकडाउन में किसानों को प्याज के लिए नहीं मिल रहा कोई खरीदार

बक्सर के अधिकांश किसानों ने इस बार प्याज की खेती की थी. लेकिन सीजन में ही लॉकडाउन लग जाने के कारण किसानों की फसल का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है.

प्याज उत्पादक परेशान
प्याज उत्पादक परेशान

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Published : May 23, 2020, 4:15 PM IST

बक्सर: लंबे समय से देश में लगे लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर प्याज उत्पादन करने वाले किसानों पर देखने को मिल रहा है. बिहार राज्य उद्यानिक फसल योजना के तहत जिला के सिमरी और डुमराव प्रखंड को प्याज के हब के रूप में विकसित करने के लिए वहां के किसानों को विभाग के अधिकारियों ने काफी प्रोत्साहित किया था. लेकिन लॉकडाउन की वजह से किसानों को प्याज के खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं. जिसके कारण प्याज खेतों में ही सड़ रहे हैं.

प्याज की खेती का नुकसान
जिले के युवा किसान अनिल सिंह ने बताया कि बड़े किसानों से बंदोबस्ती पर खेत लेकर प्याज की खेती की थी. फसल का अच्छा उत्पादन होने के बाद भी इसे खरीदने के लिए कोई खरीदार ही नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगाने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली. इस लॉकडाउन ने किसानों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है.

प्याज की खेती का नुकसान

वहीं, किसान माझिल सिंह ने बताया कि लॉकडाउन में बड़े व्यापारी किसानों का दोहन करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. पछुआ हवा और चिल्लाती धूप में मेहनत कर प्याज का उत्पादन किया है. लेकिन व्यापारी लॉकडाउन के कारण 100 रुपये क्विंटल हमारे प्याज की कीमत लगा रहे हैं. ऐसे में किसान आत्महत्या नहीं करेगा तो क्या करेगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लॉकडाउन की मार झेल रहे प्याज विक्रेता
जिला उद्यान अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि, जिले को प्याज के हब के रूप में विकसित करने के लिए बिहार राज्य उद्यानिक फसल योजना के तहत चयन किया गया था. जिसके बाद जिले के किसानों को प्याज की खेती करने के लिए प्रेरित किया गया. लेकिन लंबे समय से देश में लगे लॉकडाउन में सामूहिक कार्यक्रम बंद हो जाने के कारण न तो प्याज का कोई खरीदार मिल रहा है और न ही किसानों के पास इतनी फसल रखने के लिए जगह है. उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से जिले में पैक हाउस बनाया जा रहा है. जहां इस तरह की स्थिति उत्पन्न होने के बाद किसान अपना प्याज सुरक्षित रख सकेंगे. साथ ही बड़े व्यापारियों से संपर्क किया जा रहा है. ताकि किसानों को कम से कम नुकसान उठाना पड़े.

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