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Published : Dec 11, 2019, 5:56 PM IST

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जल्द होगा निर्भया के गुनहगारों का THE END! बक्सर से तिहाड़ भेजा गया 'फांसी का फंदा'

बक्सर जेल में 1884 में पहली बार बने फंदे से भारतीय कैदी को फांसी दी गई. इसके बाद देश की तमाम जेलों में फांसी के लिए बक्सर से ही रस्सी को मंगाया जाता है. मुंबई हमले के आरोपी अजमल कसाब को फांसी देने में भी बक्सर जेल में बनी रस्सी का प्रयोग किया था.

डिजाइन इमेज
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बक्सर: तिहाड़ जेल नंबर तीन में निर्भया के दोषियों की फांसी की तैयारी शुरू कर दी गई है. इसके लिए फांसी का फंदा बक्सर सेंट्रल जेल में तैयार किया गया. बुधवार को बक्सर जेल से फांसी का फंदा तिहाड़ जेल के लिए रवाना हो गया है. दरअसल, बक्सर जेल में फांसी के फंदे के लिए रस्सियां तैयार की गई.

बक्सर सेंट्रल जेल से फांसी के लिए तैयार की गई 10 रस्सियों में से 6 रस्सियां सुबह 8 बजे तिहाड़ जेल भेज दी गई है. जेल सूत्र के अनुसार एक रस्सी की कीमत 2 हजार 140 रुपए है. इसका भुगतान तिहाड़ जेल अधीक्षक ने किया है. वरीय अधिकारियों के निर्देश के बाद बक्सर सेंट्रल जेल में ये रस्सियां तैयार की गई.

जानकारी देते संवाददाता

मिली जनकारी के अनुसार, तिहाड़ जेल अधीक्षक के साथ बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी बक्सर सेंट्रल जेल पहुंचे. इसके बाद सुबह 8 बजे पूरा दल कड़ी सुरक्षा के बीच ये रस्सियां लेकर तिहाड़ जेल रवाना हो गया. रस्सी के लिए कुल 12 हजार 840 रुपये का भुगतान किया गया है.

बक्सर जेल की मनीला रस्सी
जब भी किसी अपराधी को मौत की सजा दी जाती है, तो बक्सर की मनीला रस्सी की चर्चा शुरू हो जाती है. पूरे देश में केवल बक्सर जेल में ही फांसी देने वाली खास रस्सी तैयार होती है. यहां की बनी रस्सी से कसाब और अफजल जैसे देश के दुश्मनों को फांसी दी गई थी.

निर्भया के आरोपी फांसी के फंदे पर लटकेंगे?
बता दें कि दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप के दोषी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास दया याचिका लगाई है. इस मामले में दिल्ली सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज चुकी है. अब गृह मंत्रालय निर्भया के दरिंदों की दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजेगा. इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस पर फैसला लेंगे.

बक्सर सेंट्रल जेल

फांसी के लिए बक्सर से भेजी है रस्सी
बक्सर जेल में 1884 में पहली बार बने फंदे से भारतीय कैदी को फांसी दी गई. इसके बाद देश की तमाम जेलों में फांसी के लिए बक्सर से ही रस्सी को मंगाया जाता है. मुंबई हमले के आरोपी अजमल कसाब को फांसी देने में भी बक्सर जेल में बनी रस्सी का प्रयोग किया था.

फांसी वाली रस्सी का इतिहास
वर्ष 1844 ई. में अंग्रेज शासकों द्वारा केन्द्रीय कारा बक्सर में मौत का फंदा तैयार करने की फैक्ट्री लगाई गई थी. यहां तैयार किए गए मौत के फंदे से पहली बार सन 1884 ई. में एक भारतीय नागरिक को फांसी पर लटकाया गया था.

खास है 'मनीला' रस्सी
इससे पहले यह रस्सी फिलीपिंस के मनीला जेल में बनती थी, इसलिए इसे मनीला रस्सी भी कहा जाता है. देश में जब-जब मौत का फरमान जारी होता है, केंद्रीय कारा, बक्सर के कैदी ही मौत का फंदा तैयार करते हैं. इसे खास किस्म के धागों से तैयार किया जाता है.

ऐसे बनती हैं रस्सियां
जेल मैनुअल के अनुसार एक फांसी की रस्सी को तैयार करने में 3 से 4 दिनों का समय लगता है. यहां दो प्रशिक्षित कैदियों की देखरेख में इस काम को अंजाम दिया जाता है. बाकायदा कारागार परिसर में इनके लिए अलग से कमरे की व्यवस्था है. इन रस्सियों को एक तय मानक के अनुरूप लम्बाई, चौड़ाई व वजन निर्धारित है.

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