बक्सरः प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. जेडीयू 15 साल जंगलराज बनाम 15 साल विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जाने से पहले, महागठबंधन के नेता के रूप में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी यदि फिर से सेवा करने का मौका दिए तो सात निश्चय योजना के तहत गांव से लेकर शहर तक का विकास किया जाएगा. लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी यह योजना जमीन पर पूरी तरह नहीं उतर पाई है. एक बार फिर बिहार विधानसभा चुनाव की आहट हो गई है. जनता सरकार से हिसाब लेने के मूड में है. वहीं, अधिकारी सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं.
कागज पर दिखती है योजना, जमीन पर नहीं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में दावा किया था कि नल का जल योजना 80 फीसदी घरों तक पहुंचा दी गई है. लेकिन जिला में कई ऐसे गांव हैं, जहां लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. वार्ड पार्षद और अधिकारियों की मिलीभगत से योजना को कागज पर पूरी कर दी गई है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर है. सदर प्रखंड अंतर्गत कई गांवों में पानी टंकी तो बनाई गई है, लेकिन पानी की सप्लाई की व्यवस्था नहीं हुई है.
कई वार्ड पार्षद जेल में, कई मुखिया बर्खास्त
सरकार के सात निश्चय योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है. मीडिया की ओर से मामले को उजागर करने के बाद कई वार्ड पार्षद जेल में हैं. वहीं, कई मुखिया को बर्खास्त कर दिया गया है. अभी भी कई जनप्रतिनिधियों पर करवाई का तलवार लटक रहा है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि पंचायती राज अधिकारी, प्रखंड विकास अधिकारी, अंचलाधिकारी और पंचायत रोजगार सेवक को बिना कमीशन दिए कोई काम नहीं होता है. हमारे पास जितना पैसा पहुंचता है, उतने से ही काम करवाते हैं.
क्या कहते हैं जिलाधिकारी
इस संबंध में डीएम अमन समीर ने बताया कि नल जल योजना को जमीन पर उतारने के लिए युद्ध स्तर पर काम कराया जा रहा है. जल्द ही सभी लोगों को इस योजना का लाभ मिलेगा. इसके साथ-साथ सरकार की अन्य योजनाओं को भी लोगों तक पहुंचाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है. जिला में अब तक 3 लाख 42 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं. आहर और पोखरे का काम बरसात के कारण बंद है. यहां के सरकारी कार्यालयों और भवनों में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसके बिजली की खपत में 20 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.
नेताओं से सवाल पूछ रही जनता
गौरतलब है कि चुनावी वर्ष में जिले की जनता सरकारी योजनाओं को जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछना शुरू कर दी है. जनप्रतिनिधियों को देखकर जनता नारेबाजी करने लगती है. यही कारण है जनप्रतिनिधि क्षेत्र में जाने से परहेज कर रहे हैं.