बक्सर:अल्पावास गृह कांड में आए नए मोड़ के बाद मामला और उलझता दिख रहा है. पहले बात सामने आई कि जहरीला पदार्थ खा लेने से किशोरी की तबीयत खराब हुई थी, लेकिन फिर सामने आया कि जहरीला पदार्थ नहीं बल्कि अबॉर्शन पिल खाने से स्थिति बिगड़ी है.
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अल्पावास में नाबालिग की तबीयत खराब होने के बाद मचा हड़कंप: अल्पावास गृह मामले आए इस नए मोड़ ने पूरे जिले हड़कंप मचा दिया है. इस बाबत बात करते हुए जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि किसी भी सरकारी संस्थान में इस तरह की घटना होना बेहद गंभीर बात है. डीएम ने कहा कि अनुमंडल पदाधिकारी और सिविल सर्जन को संयुक्त रूप से जांच कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है.
"किशोरी के प्रेगनेंसी में कॉम्प्लिकेशन संबंधित यह मामला प्रथम दृष्टया प्रतीत हो रहा है. जांच रिपोर्ट के आधार पर जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. अगर अल्पावास में रहने वाले किसी भी शख्स के साथ कुछ गलत हो रहा है तो हमारी जवाबदेही है."- अंशुल अग्रवाल, डीएम, बक्सर
जहर खाने से तबीयत बिगड़ने की दी गई थी जानकारी: आपको बता दें कि एक किशोरी को बीते 6 जून को अल्पावास गृह में लाया गया था. 13 जून को अल्पावास गृह में रह रही किशोरी की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी. आनन फानन में सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. कहा गया कि जहर खाने से तबीयत खराब हुई है.
आबर्शन पिल खाने से बिगड़ी तबीयत:मामले की जांच करने के लिए अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र मिश्रा और पुलिस उपाधीक्षक अशफ़ाक़ अंसारी पहुंचे. अगले दिन मामला तब और उलझ गया जब चिकित्सक ने बताया कि तबीयत जहरीला पदार्थ खाने से नहीं बल्कि अबॉर्शन पिल खाने से खराब हुई है.
फाइनल जांच रिपोर्ट का इंतजार: ऐसे में अब एसडीम और सीएस की जांच और किशोरी के मेडिकल रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि मामले में सच्चाई क्या है और दोषी कौन हैं और कार्रवाई क्या होती है? फिलहाल इस पूरे मामले की जिला प्रशासन गंभीरता से जांच कर रहा है.
पीड़िता की मां ने कही थी ये बात: हालांकि इस पूरे मामले में पीड़िता की मां का बयान संदेश के घेरे में है. मां ने बताया था कि 27 जून को बेटी को ऑबर्शन पिल उसी ने दिया था. वहीं मेडिकल एक्सपर्ट का कहना है कि पिल का असर 36 से 42 या ज्यादा से ज्यादा 72 घंटे के अंदर दिख जाता है. 15 दिन के बाद असर नहीं दिखता.