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'ये छत ना टपके, क्लास में पंखा हो और बैंच पर बैठकर पढ़ाई हो..' देखिए बक्सर के स्कूलों का हाल

बिहार में शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा की शिकार हो चुकी है. बक्सर में स्कूलों का हाल बेहाल है. सदर प्रखंड के नादांव के स्कूलों का हाल जानने के लिए देखेंगे ग्राउंड रिपोर्ट. जिसमें साफ देखा जा सकता है कि बच्चे भय के माहौल में पढ़ने को मजबूर हैं. टपकती छत कभी भी बैठ सकती है. सीलन, अंधेरे और जमीन पर बैठकर पढ़ना इन बच्चों की मजबूरी बन गई है. पढ़ें पूरी खबर-

बक्सर में बदहाल शिक्षा व्यवस्था
बक्सर में बदहाल शिक्षा व्यवस्था

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Published : Oct 8, 2022, 6:47 AM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर में शिक्षा व्यवस्था बदहाल (Bad education system in Buxar) है. यहां के स्कूलों का हाल बेहाल है. कई स्कूलों की छत टपकती है. लगभग स्कूलों में जमीन पर बैठकर ही विद्यार्थी पढ़ने को मजबूर हैं. कई स्कूलों तक सड़कें नहीं पहुंची हैं. खेत और कच्चे रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. इस समस्या से ऐसे स्कूल के मास्टर भी दो-चार होते हैं. बिहार में ये हालात काफी पहले से चले आ रहे हैं. कई स्कूल जीर्णोद्धार की राह देख रहे हैं. लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग का इस ओर ध्यान नहीं है. बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.

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जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर दूर दुर्दशा का शिकार है स्कूल: बक्सर जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सदर प्रखंड के नादांव में जहाँ उत्क्रमित उच्च विद्यालय और मध्य विद्यालय में पढ़ने वाले कक्षा नवीं और दसवीं के विद्यार्थियों को बैठने की बेंच तक उपलब्ध नहीं है. ये छात्र आज भी जमीन पर बिछी दरी पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं. ऐसे में अलग बात है कि जब घंटों बैठे-बैठे इनके पैर में दर्द होने लगता है तो शिक्षक से पूछकर बाहर घूम टहल लेतें हैं.

बारिश में टपकती है स्कूल की छत: उच्च विद्यालय हो या मध्य विद्यालय दोनों जगह एक ही समस्या है. बैठने के लिए बेंच डेस्क नहीं है. सुरक्षा के लिए बाउंड्री नहीं है. स्कूल में पीने की समस्या है. बरसात में छत से पानी टपकने की समस्या है. छप्पर गिरने की समस्या है. अतिक्रमण के कारण खिड़की बंद हो जाने से कमरे में अंधेरा रहता है. बच्चों के लिए स्कूलों में खेल-कूद के लिए मैदान है ही नहीं. प्रार्थना के लिए सड़कों पर खड़ा होना पड़ता है. ईटीवी भारत की टीम ने बच्चों से उनकी समस्या जानने की कोशिश की तो विद्यार्थियों ने कई जरूरतों को पूरा करने की मांग सामने रख दी.

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''विद्यालय में पढ़ाई तो ठीक होती है, लेकिन डेस्क और बेंच के बिना पढ़ाई करने के लिए घंटों जमीन पर बैठना पड़ता है, पैर बैठे बैठे सुन्न हो जाता है. इससे बहुत परेशानी होती है''- रिया, छात्रा, कक्षा नवीं

''बाउंड्री नहीं होने के कारण बाहरी लड़के आ जाया करते हैं, जिससे हमेशा असुरक्षा की भावना बनी रहती है. सायकिल से आने में रास्ते पर पानी लगा रहता है. कई बार हम लोग गिर जाते हैं. विद्यालय आने में बहुत परेशानी होती है''- रोशनी कुमारी, छात्रा, कक्षा नवीं


क्या कहते हैं स्कूल के शिक्षक: विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक ने कहा कि इसके लिए हम लोग बहुत गुहार लगाये परन्तु समस्या का समाधान नहीं निकला. अधिकारी से लेकर जन प्रतिनिधि तक गये पर स्थिति नहीं बदली. विद्यालय की शिक्षिका दीपिका राय और सुप्रिया पाठक ने बताया कि बहुत समस्या है, रास्ता नहीं होने के कारण स्कूटी मुख्य सड़क तक छोड़ कर आना पड़ता है. स्कूल की बाउंड्री नहीं होने के कारण बाहरी लड़कों से झगड़ा और लड़ाई की नौबत आ जाती है. बिना बेंच के जमीन पर बैठने से बहुत परेशानी होती है. यहां लड़कियों के पढ़ने आने लायक तो बिल्कुल व्यवस्था नहीं है.

''बरसात में छत से पानी टपकने लगती है, नमी के कारण छप्पर भी टूट कर गिर जाता है. ऐसे में हमेशा हादसे का डर बना रहता है. इसकी शिकायत हमने आगे भी की है. कई जगह हम लोगों ने जिम्मेदारों को कहा लेकिन हालात नहीं बदले''- सुशील कुमार, वरीय शिक्षक, मध्य विद्यालय, नादांव

जिला शिक्षा अधिकारी ने ईटीवी भारत को दिया आश्वासन: जब इन अव्यवस्थाओं को लेकर बक्सर के जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार द्विवेदी से बात की तो उन्होंने अपनी नई पदस्थापना का हवाला दिया. उन्होंने आश्वासन दिया कि बहुत जल्द इसका निराकरण कराएंगे. उनका फोकस छोटी समस्या को दूर करने के लिए होगा. बच्चों के पढ़ाई के लिए डेस्क और बेंच की व्यवस्था पहले करवाएंगे.

''बक्सर में मेरी नई पदस्थापना हुई है. मेरी कोशिश होगी कि बहुत जल्द वहां की समस्याओं का निराकरण कराएंगे. सबसे पहले छोटी छोटी समस्याओं को हम दूर करेंगे. बच्चों के लिए बेंच डेस्क की व्यवस्था शीघ्रातिशीघ्र किया जाएगा''- अनिल कुमार द्विवेदी, जिला शिक्षा पदाधिकारी

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