बक्सर:शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई योजनाओं को संचालित किया जा रहा है. इस क्रम में जिला प्रशासन लगातार अभिभावकों को जागरुक करने में करने में जुटा हुआ है. इसके लिए गर्भावस्था के दौरान ही आशा और आंगनबाड़ी सेविकाओं के द्वारा माताओं को टिप्स दिया जाएगा. वे घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने का काम करेंगी.
मौके पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि भूषण श्रीवास्तव ने बताया कि जन्म के शुरुआती एक घंटे के भीतर शिशुओं के लिए स्तनपान अमृत समान होता है. इस दौरान स्तनपान की शुरुआत कराने से शिशु आसानी से स्तनपान कर पाता है. सामान्य और सिजेरियन प्रसव दोनों स्थितियों में एक घंटे के भीतर ही स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है. इससे शिशु के रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है.
डॉक्टर ने दिए टिप्स
डॉ. रवि भूषण श्रीवास्तव की मानें तो स्तनपान से बच्चे का निमोनिया और डायरिया जैसे गंभीर रोगों में भी बचाव होता है. जन्म के शुरुआती दो घंटों तक शिशु अधिक सक्रिय रहते हैं, इसलिए शुरुआती एक घंटे के भीतर ही स्तनपान शुरू कराने की सलाह दी जाती है. इससे शिशु सक्रिय रूप से स्तनपान करने में सक्षम होता है. साथ ही 6 माह तक केवल स्तनपान ही जरूरी होता है.
शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास
सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने बताया जन्म के शुरूआती समय में एक चम्मच से अधिक दूध नहीं बनता है. यह दूध गाढ़ा और पीला होता है, जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है. इसके सेवन करने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. कई परिवारों में इसे गंदा या बेकार दूध समझकर शिशु को नहीं देने की सलाह देते हैं. बच्चे के लिए यही गाढ़ा पीला दूध जरूरी होता है और मां का शुरूआती समय में कम दूध बनना भी एक प्राकृतिक प्रक्रिया ही है.
प्रसव के बाद कोविड के इन नियमों का पालन :
- बिना मास्क के शिशुओं को गोद में न लें
- शिशुओं को गोद में लेने के पूर्व हाथों को साबुन से अच्छे से धोएं
- शिशुओं व नवजात बच्चों को बाहरी लोगों के सीधे संपर्क में न आने दें
- अस्पताल में चिकित्सा कर्मी व अन्य मरीजों से शारीरिक दूरी बना कर रहें