औरंगाबाद: आमतौर पर लोग सदर अस्पताल में ऑपरेशन कराने की बात सुनकर घबरा जाते हैं. निजी नर्सिंग होम में भर्ती होकर आर्थिक व मानसिक दोहन के शिकार हो जाते हैं. परंतु जिले के सदर अस्पताल में पदस्थापित चिकित्सक व सर्जन डॉक्टर जनमेजय ने सोमवार को एक गंभीर ऑपरेशन कर सरकारी अस्पताल की विश्वसनीयता को स्थापित किया है. लॉकडाउन में इस ऑपरेशन से उन्होंने शहरवासियों के दिल भी जीत लिया.
औरंगाबाद: आठ ग्राम हीमोग्लोबिन में भी महिला ने ऑपरेशन से तीसरे बच्चे को दिया जन्म
महिला के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा सिर्फ आठ प्रतिशत ही थी. चिकित्सकों ने बताया कि इससे पूर्व भी महिला की दो बच्चे ऑपरेशन से हो चुके है. यह महिला कि तीसरी डिलिवरी थी और ऑपरेशन से काफी रिस्क था.
जानकारी के अनुसार शहर के बराटपुर निवासी धर्मेंद्र प्रसाद लॉक डाउन की वजह से पटना में फंसे हुए है. सोमवार को उनकी पत्नी सुनीला देवी को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी. आनन-फानन में परिजनों ने सुनीला को सदर अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन महिला के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा सिर्फ आठ प्रतिशत ही थी. चिकित्सकों ने बताया कि इससे पूर्व भी महिला की दो बच्चे ऑपरेशन से हो चुके है. यह महिला कि तीसरी डिलिवरी थी और ऑपरेशन से काफी रिस्क था.
2 घंटे चला ऑपरेशन
इसके लिए सर्जन, डॉक्टर जनमेजय ने अस्पताल के डॉक्टर कुमार महेंद्र प्रताप एवं अस्पताल अधीक्षक से बात की. उन्होंने सामाजिक संस्था आर्यन महाजन नाट्य परिषद को महिला मरीज के लिए एक यूनिट ब्लड की व्यवस्था करने को कहा. रक्तदाता मिलने के बाद डॉक्टर जन्मेजय द्वारा बिना रक्त लिए लगभग 2 घंटे तक अथक परिश्रम करने के बाद ऑपरेशन सफल हुआ. महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. इस ऑपरेशन से ना सिर्फ अस्पताल गौरवान्वित हुआ बल्कि शहरवासी भी इसकी प्रशंसा कर रहे हैं.