औरंगाबादः महागठबंधन के काराकाट लोकसभा प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा ने प्रधानमंत्री के उस बयान की आलोचना की है, जिसमें उन्होंने राजीव गांधी पर आरोप लगाया था. कुशवाहा ने कहा कि प्रधानमंत्री के पास अब कोई मुद्दा नहीं है. इसलिए वो अनाप-शनाप मुद्दों को उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कम से कम नरेंद्र मोदी 23 मई तक के लिए प्रधानमंत्री पद की गरिमा बनाये रखें.
'शहीद के चरित्र पर लांछन ना लगाएं'
ईटीवी भारत से खास बातचीत में उपेंद्र कुशवाहा ने नरेंद्र मोदी के आरोप के जवाब में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों के आधार पर चुनाव हारने की संभावना है. इसलिए वह अनर्गल मुद्दा उठा रहे हैं. एक शहीद जिसने देश के लिए प्राण न्योछावर कर दिया उसके चरित्र पर लांछन लगा रहे हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जरिए पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी पर लगाए गए उस आरोप की निंदा की, जिसमें उन्होंने राजीव गांधी पर युद्धपोत आईएनएस विक्रांत पर 10 दिनों की छुट्टियां मनाने को लेकर आरोप लगाया था.
प्रत्याशी उपेंद्र, महागठबंधन प्रत्याशी 'क्यों नहीं करते नोटबंदी का जिक्र'
उपेंद्र कुशवाहा ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के उस बयान का भी समर्थन किया जिसमें उन्होंने नोटबंदी पर शेष बचे दो चरणों को चुनावी मुद्दा बनाने को कहा था. प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शेष बचे जो दो चरणों के चुनाव में नोटबंदी को मुख्य मुद्दा बनाने की चुनौती दी थी. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मोदी मुद्दों से भटकाने के लिए अनर्गल मुद्दे उठा रहे हैं. लेकिन जनता समझदार है. वह समझ चुकी है और उन्हें इस चुनाव में बुरी तरह से पराजित करने वाली है.
कुशवाहा ने किया जनसंपर्क अभियान
बता दें कि बुधवार को काराकाट लोकसभा से महागठबंधन के प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा ने सघन जनसंपर्क अभियान चलाया. जनसंपर्क अभियान में उन्होंने ओबरा और बारुण प्रखंड के विभिन्न ग्राम पंचायतों में नुक्कड़ सभा किया. कुशवाहा ने सुबह से लेकर शाम तक लगभग 15 जगहों पर नुक्कड़ सभाएं की. बारुण प्रखंड के पिपरा पंचायत में हुई नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने समान शिक्षा और गुणवत्ता युक्त शिक्षा को चुनावी मुद्दा बनाया है.
शिक्षा की दुर्दशा पर चिंता जताई
इसके अलावा उन्होंने न्यायपालिका के कॉलेजियम सिस्टम पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में कॉलेजियम सिस्टम नहीं बल्कि सीधी भर्ती होनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालयों और सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की और उनकी सरकार आने पर इसकी दशा और दिशा सुधारने का वादा किया.