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औरंगाबादः चैती छठ में देव सूर्य मंदिर का है अपना अलग महत्व, दुनिया का इकलौता पश्चिम मुखी सूर्य मंदिर

देव सूरज मंदिर अति प्राचीन मंदिर है. इसे इला के पुत्र राजा एल ने त्रेता युग के 12 लाख 16 हजार वर्ष बीत जाने के बाद निर्माण आरंभ कराया था. ऐसे में मंदिर की अति प्राचीन होने से इंकार नहीं किया जा सकता है.

chaiti chhath
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Published : Mar 28, 2020, 10:36 AM IST

Updated : Mar 28, 2020, 11:00 AM IST

औरंगाबादः जिले का देव सूर्य मंदिर देसी-विदेशी पर्यटकों, श्रद्धालुओं और छठ व्रतियों की अटूट आस्था का केंद्र है. यह ऐतिहासिक, धार्मिक, पौराणिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटक के दृष्टिकोण से विश्व प्रसिद्ध या त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर अपनी कलात्मक भव्यता के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर को दुनिया का इकलौता पश्चिमा मुखी सूर्य मंदिर होने का गौरव हासिल है.

इकलौता पश्चिमा मुखी सूर्य मंदिर
देव सूरज मंदिर अति प्राचीन मंदिर है. इसे इला के पुत्र राजा एल ने त्रेता युग के 12 लाख 16 हजार वर्ष बीत जाने के बाद निर्माण आरंभ कराया था. ऐसे में मंदिर की अति प्राचीन होने से इंकार नहीं किया जा सकता है.

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सूर्य मंदिर का अपना अलग महत्व
बहरहाल भगवान भास्कर का यह मंदिर सदियों से लोगों को मनोवांछित फल देने वाला पवित्र धर्मस्थल रहा है. यूं तो साल भर में देश के विभिन्न जगहों से श्रद्धालु यहां आकर कर मन्नत मांगते हैं और पूर्ति होने पर अर्ध देने आते हैं. लेकिन कार्तिक छठ दौरान यहां दर्शन पूजन की अपनी एक विशिष्ट धार्मिक महत्ता है.

वहीं, कोरोना वायरस के कारण सूर्य मंदिर को बंद कर दिया गया है. लेकिन ईटीवी भारत घर बैठे लोगों को सूर्य मंदिर का दर्शन करा रहा है.

Last Updated : Mar 28, 2020, 11:00 AM IST

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