औरंगाबाद:कोरोना वायरस और लॉकडाउन के दहशत के बीच चैत्र छठ पूजा की शुरूआत हो चुकी है. इस वायरस के कारण पीएम मोदी ने पूरे देश में एहतियात को तौर पर लॉक डाउन जारी करने का आदेश दिया है. जिस वजह से इसबार जिले के देव मंदिर में पूजा की रौनक पूर्व साल की तरह नहीं होगी. मंदिर समिति और जिला प्रशासन ने लोगों से सहयोग की अपील की है. बता दें कि चैती छठ पूजा की शुरूआत शनिवार 28 मार्च से नहायखाय के साथ शुरू हुई. 29 मार्च रविवार को खरना होगी. 30 मार्च को सोमवार को पहला अर्घ्य और 31 मार्च मंगलवार को दूसरा अर्घ्य के साथ इस पर्व का निस्तार होगा.
'कुष्ठ निवारक तालाब है सूरजकुंड'
इसको लेकर देव सूरजकुंड के पुजारी सच्चिदानंद पाठक ने बताया कि यह मंदिर अति प्रचीन है. यहां पर हर साल चैती छठ में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती थी. लेकिन इस बार मंदिर परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ है. उन्होंने बताया कि मंदिर की पूजा समिति आंतरिक पूजा-पाठ कर रही है. लेकिन, लॉक डाउन के कारण आम लोगों के प्रवेश पर मंदिर में रोक लगा दी गई है. सच्चिदानंद पाठक ने बताया कि देव सूर्य मंदिर से थोड़ी दूरी पर देव सूर्य मंदिर से थोड़ी दूरी पर स्थित है. इसे कुष्ठ निवारक तालाब के नाम से जाना जाता है. इस तालाब में स्नान करने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है. इसी तालाब में चैत्र एवं कार्तिक मास श्रद्धालु छठ व्रत करने के लिए आते हैं.
अति प्राचीन है कुंड
गौरतलब है कि देव मंदिर अपनी अनूठी शिल्पकला के लिए जाना जाता है. पत्थरों को तराश कर बनाए गए इस मंदिर की नक्काशी उत्कृष्ट शिल्प कला का नमूना है. इतिहासकारों की माने तो इस मंदिर का निर्माण छठी - आठवीं सदी के मध्य में हुआ था. मंदिर को लेकर कई अलग-अलग पौराणिक मान्यताएं भी है. धर्म के जानकारों का कहना है कि यह मंदिर ता युगीन या फिर द्वापर युग के मध्यकाल में बनी थी.