भोजपुर : आजादी के 72 साल गुजरने के बाद भी अगर स्थिति में सुधार न हो तो क्या उसे भी विकास ही कहेंगे? अगर कहेंगे तो यह विकास नजर आता है भोजपुर जिला के गड़हनी थाना क्षेत्र के रत्नाढ़ गांव में. जहां आज तक पुल के नाम पर बिजली का एक पोल ही अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है.
दरअसल, पडडिया और रत्गनाढ़ गांव के बीच निश्छल बहती बनास नदी पर अंग्रेजों के जमाने के बने पुल के कुछ अवशेष अब भी अपने जमाने की याद ताजा करा रहे हैं. पुल पर पड़े बिजली के पोल पर ही चल कर यहां के लोग इस नदी को पार करते हैं. लेकिन आज तक यहां जनप्रतिनिधि जनता को सिवाय आश्वासन के और कुछ ना दे सके. भोजपुर जिले में साग सब्जी उपजाने के लिए मशहूर गांव आज भी अपनी दुर्दशा की कहानी बयां कर रहा है.
ग्रामीणों को है बड़ी समस्याएं
इस गांव के लोग बताते हैं कि आज पुल के नहीं होने से ग्रामीणों को बड़ी समस्याएं झेलनी पड़ती है. उन्होंने बताया कि इस पुल के नहीं बनने से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हो रहा है. दरअसल रत्नाढ़ गांव के किसान अपनी सब्जी बेचने गड़हनी बाजार में जाते हैं. लेकिन पूल के नहीं होने की वजह इन्हें अपनी सब्जी मंडी तक ले जाने के लिए तीन किलोमीटर की दूरी को 5 किलोमीटर में तय करना पड़ता है.
वर्षों से हो रही है मांग
इस नदी पर पूल की मांग यहां के लोगों के द्वारा लगातार होती रही है. लेकिन इसके बावजूद जनप्रतिनिधियों और नेताओं का ध्यान इस पर नहीं है. इस पुल के बनने से रत्नाढ़, पडडिया, काउप, मथुरापुर, सोहरी, सुअरी सहित दर्जनों के गांवों की दूरी आधी हो जाएगी. लोगों का कहना है कि नेता यहां वोट मागने तो आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं. लोकिन पुल का निर्माण आज तक नहीं हो सका.